कुंभ नगरी तीर्थराज – इलाहाबाद Allahabad – City of Kumbh Mela
भारत की सबसे पवित्र शहरों में से एक इलाहाबाद गंगा और यमुना नदियों के संगम पर बनाया गया था| यह भारत के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू का पैतृक घर है| नेहरू कश्मीरी ब्राह्मण पंडित, मूल रूप कौल थे, लेकिन परिवार के घर नदी या नहर के सामने होने के कारण उन्हें नेहरू कहा जाने लगा| प्राचीन समय में इसे प्रयाग और कौशाम्बी के नाम से जाना जाता था, और यह एक संपन्न बौद्ध केंद्र था| इसका नाम महान मुगल सम्राट अकबर के शासनकाल के दौरान 1584 में बदल कर इलाहाबस अर्थात “अल्लाह का शहर” रख दिया गया| अकबर हिंदुओं के दिलों को जीतने के लिए प्रतिबद्ध था और इसके लिए भारत के दो सबसे पवित्र नदियों के संगम पर एक सुंदर शहर का निर्माण करने से बेहतर तरीका क्या हो सकता था| इस प्रकार उसने सन् 1575 में इलाहाबस की नींव रखी जो शीघ्र ही इलाहाबाद हो गया|
हिन्दू मान्यता अनुसार, यहां सृष्टिकर्ता ब्रह्मा ने सृष्टि कार्य पूर्ण होने के बाद प्रथम यज्ञ किया था। इलाहाबाद महाकुंभ की चार स्थलियों में से एक है, शेष तीन हरिद्वार, उज्जैन एवं नासिक हैं, जहां प्रत्येक बारह वर्ष में कुंभ मेला लगता है।इलाहाबाद अपने चारों तरफ प्राचीनतम नगरों से घिरा हुआ है, इसके पूर्व में झूंसी है, जो प्राचीनकाल में प्रतिस्ठानपुर के नाम से जाना जाता था और यह चन्द्रों की राजधानी थी; इसके पश्चिम में कड़ा का किला है जो राजपूत राजा जयचंद के प्रभाव की गवाही देता है| अकबर ने शहर की वाणिज्यिक क्षमता और इसके नदियों की सामाजिक और धार्मिक महत्व पहचानते हुए यमुना के किनारे एक किले का निर्माण कराया और इलाहाबाद को एक मुगल सूबा बनाकर, इसे प्रांतीय राजधानी की स्थिति से ऊपर उठाया| वहाँ एक अशोक स्तंभ की उपस्थिति भी मौर्यों के बहुत पहले से प्रभाव का सबूत है| मराठों द्वारा इलाहाबाद को लूटने से पहले ही अँग्रेज़ों ने 1834 में इसे अपने उत्तर पश्चिम प्रांतों की अपनी राजधानी घोषित कर दी| ब्रिटिशों द्वारा यहाँ एक उच्च न्यायालय के निर्माण के निर्णय से यह जल्द ही कानूनी अध्ययन के लिए एक संपन्न केंद्र बन गया, साथ ही इलाहाबाद विश्वविद्यालय भी शिक्षा का केंद्र बन गया| हालांकि, एक वर्ष बाद ही अँग्रेज़ों ने अपनी राजधानी आगरा स्थांतरित कर दी|
सन् 1857 में विद्रोही सिपाहियों ने शहर पर कब्जा कर लिया था और यहाँ पर विद्रोह का नेतृत्व लियाक़त अली ख़ाँ ने किया था।1931 में इलाहाबाद के अल्फ्रेड पार्क में क्रांतिकारी चंद्रशेखर आजाद ने ब्रिटिश पुलिस से घिर जाने पर स्वयं को गोली मार थी।
1888 में इलाहाबाद ने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के चौथे सत्र की मेजबानी की, यहाँ पर कुल कांग्रेस पार्टी के तीन अधिवेशन 1888, 1892 और 1910 में क्रमशः जार्ज यूल, व्योमेश चन्द्र बनर्जी और सर विलियम बेडरबर्न की अध्यक्षता में हुए।
इसके बाद यह भारत के स्वतंत्रता आंदोलन का एक केंद्र बन गया है, और आनंद भवन, नेहरू पैतृक घर, को कांग्रेस मुख्यालय के रूप में कांग्रेस को दान कर दिया| नेहरू के अलावा, शहर से प्रमुख कांग्रेस राष्ट्रवादियों में मंगला प्रसाद, मुज़्ज़फ़्फ़र हसन, कैलाश नाथ काटजू, लाल बहादुर शास्त्री और पुरुषोत्तम दास टंडन शामिल हैं|
इलाहाबाद भारत के 4 प्रधानमंत्रियों का घर है: जवाहर लाल नेहरू, इंदिरा नेहरू गांधी, उनके पुत्र राजीव नेहरू गांधी और लाल बहादुर शास्त्री| इलाहाबाद आज भी राजनीतिक और धार्मिक केन्द्र के रूप में एक महत्वपूर्ण शहर बना हुआ है|
भारत का मानक याम्योत्तर ग्रीनविच से 82.5° पूर्व है, जिसका अर्थ है कि हमारा मानक समय, ग्रीनविच मानक समय से साढ़े पाँच घंटे आगे है। भारत में पूर्वी देशान्तर, जो कि इलाहाबाद के निकट नैनी से गुजरती है, के समय को भारत का मानक समय माना गया है।
इलाहाबाद नगर निगम, राज्य के प्राचीनतम नगर निगमों में से एक है। निगम 1864 में अस्तित्त्व में आया था| आल सेण्ट्स कैथैड्रिल शहर के सिविल लाइन मे स्थित यह चर्च पत्थर गिरजाघर के नाम से प्रसिद्द है। 1879 मेँ बन कर तैयार हुये इस चर्च का नक्शा सुप्रसिद्ध अंग्रेज वास्तुविद विलियन इमरसन ने बनवाया था।
इलाहाबाद में कई महत्त्वपूर्ण राज्य सरकार के कार्यालय स्थित हैं, जैसे इलाहाबाद उच्च न्यायालय, प्रधान महालेखाधिकारी (एजी ऑफ़िस), उत्तर प्रदेश राज्य लोक सेवा आयोग (पी.एस.सी), राज्य पुलिस मुख्यालय, उत्तर मध्य रेलवे मुख्यालय, केन्द्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड का क्षेत्रीय कार्यालय एवं उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा परिषद कार्यालय। भारत सरकार द्वारा इलाहाबाद को जवाहर लाल नेहरू राष्ट्रीय शहरी नवीकरण योजना मिशन के लिये शहर के रूप में चुना गया है।
इलाहाबाद जिले की 2013 की जनगणना के अनुसार जनसँख्या 6010249 है, जो उत्तर प्रदेश का सबसे ज़्यादा जनसँख्या वाला जिला हैँ ।