अलफान्सो दी अलबुकर्क Alfonso De Albuquerque
अलफान्सो दी अलबुकर्क निर्विवाद रूप से भारत और एशिया में पुर्तगाली साम्राज्य के संस्थापक था| 1503 में भारत की ओर नौकायन से पहले, वह मोरक्को में राजा मैनुएल मैं (1495-1521) सेवा में था| यहाँ एक मस्लिन द्वारा उसके छोटे भाई को मार डालने के कारण उसके मन में मुस्लिमों के पार्टी घृणा उत्पन्न हो गयी थी| सन् 1504 में लिस्बन (Lisbon) लौटने के बाद उसने हिंद महासागर के आसपास रणनीतिक बंदरगाहों पर किलों के निर्माण से पूर्व के साथ व्यापार का एकाधिकार स्थापित करने की वांछनीयता के लिए राजा को आश्वस्त कर लिया| दो साल बाद राजा ने इस योजना को मंजूरी दे दी है और उसे पूर्व के लिए उसे भेजा| एक गुप्त पत्र में उन्होंने अल्बुकर्क को, फ्रांसिस्को डी अल्मीडा की सेवा अवधि की समाप्ति पर पुर्तगाली संपत्ति के वायसराय के रूप में नियुक्ति देने का वादा किया| अगले नौ वर्षों के दौरान, अल्बुकर्क ने 1510 में गोवा और एशिया यूरोप मार्ग पर महत्वपूर्ण ठिकानों पर कब्जा करके, हिंद महासागर के ऊपर पुर्तगाली समुद्री वर्चस्व स्थापित किया| एक साल बाद उसने मलक्का, जी की उस समय दक्षिण पूर्व एशिया में मसालों के वितरण का प्रमुख बंदरगाह था उस पर कब्जा कर लिया| और 1515 में उसने फारस की खाड़ी में स्थित ओरमुज़(Ormuz) पर कब्जा कर लिया| इस समय एशिया यूरोप व्यापार में पुर्तगाल की हिस्सेदारी कुल की तीन चौथाई तक पहुँच गयी| इस कारण यह, अन्य यूरोपीयों जिन्होने पहले से अरबों और फारसियों के साथ संबंधों के माध्यम से एशियाई व्यापार पर एकाधिकार बनाए रखा था के लिए बड़े नुकसान के कारण बना| अल्बुकर्क ने गोवा में पूर्व के व्यापक पुर्तगाली साम्राज्य का मुख्यालय बनाया| सन् 1509 में उसे वायसराय बनाया गया जो की वह अपनी सन् 1515 मे अपनी मृत्यु तक बना रहा| अलबुकर्क एक धार्मिक कट्टर और बेरहम इंसान था अपने एक पत्र में उसने राजा को लिखा ‘ उसके पास मुस्लिमों के लिए कोई जगह नहीं है और जो जिंदा बचे है मैने उनको मरने का आदेश दे दिया है’|
अल्बुकर्क ने पुर्तगाली सैनिकों और नाविकों को विधवाओं और अपहरण की गयी पत्नियों से और युद्ध में हारे लड़ाकों की बेटियों के बीच मिश्रित विवाहों को प्रोत्साहित करने के लिए प्रमुख पहल की| उन्होंने बलपूर्वक, कैथोलिक मत में महिलाओं का धर्म परिवर्तित किया, उन्हें भूमि और नकदी का दहेज दिया और उन्हे वंश निर्माण करने के लिए प्रोत्साहित किया, जो की पूर्व में पुर्तगाली शक्ति के मजबूत स्तंभ बन सके| उसकी यह नीति कई कारणों से विफल रही| “आधी जातियों” की यह संख्या पुर्तगाली साम्राज्यवादी शक्ति को प्रभावी ताकत कभी नहीं प्रदान कर सकी| पश्चिमी भारत में धार्मिक असहिष्णुता की उसकी नीति मुसलमानों और हिंदुओं के बीच दुश्मनी का कारण बन गयी, जो पिछले सदियों के दौरान, लाभकारी व्यापार को बढ़ावा देने, तट पर शांतिपूर्ण सहअस्तित्व में रहते थे| अल्बुकर्क के आलोचकों ने जबरन रूपांतरण की नीति का पीछा करते हुए बंदरगाहों और किलों की एक ज़रूरत से ज़्यादा बड़े साम्राज्य के निर्माण में उसकी अत्यधिक महत्वाकांक्षा की निंदा की है| इसमें कोई शक नहीं कि वह स्पेन के साथ एशिया में “पुर्तगाली सदी” के पुर्तगाली साम्राज्य और सर्जक के संस्थापक था, जिस कारण वह समकालीन यूरोपीय राज्यों के बीच ईर्ष्या की वस्तु भी बन गया|