भारतीय औषधि परिषद् Central Council of Indian Medicine – CCIM
भारतीय औषधि परिषद् भारत की एक संविधिक निकाय है जो औषधि अधिनियम, 1948 के प्रावधानों से निर्देशित होती है। यह निकाय फार्मेसी अधिनियम के अंतर्गत भेषजज्ञ (फार्मासिस्ट) के तौर पर पंजीकरण करने के उद्देश्य हेतु देश में औषधि शिक्षा का विनियमन करती है और औषधि के पेशे और प्रेक्टिस की विनियमित करती है।
परिषद् का संगठन
- छह सदस्यों जो विश्वविद्यालय अनुदान आयोग द्वारा चुने जाते हैं, में से कम से कम प्रत्येक विषय-औषधीय रसायन विज्ञान, औषधिशाला, औषधि विज्ञान, में कम-से-कम एक प्राध्यापक होगा।
- छह सदस्यों, जिनमें से कम से कम चार सदस्य फार्मेसी संबंधी डिग्री या डिप्लोमा धारक होते हैं और फार्मेसी या औषधीय रसायन विज्ञान में प्रेक्टिस करते हैं केंद्र सरकार द्वारा नामित किए जाते हैं।
- एक सदस्य को भारतीय चिकित्सा परिषद् के सदस्य अपने में से चुनते हैं।
- स्वास्थ्य सेवाओं का महानिदेशक एक्सऑफिसियो सदस्य होता है या यदि वह कोई मीटिंग में उपस्थित होने में असमर्थ है तो वह व्यक्ति जिसे वह लिखित में इसके लिए प्राधिकृत करता है, सदस्य होगा।
- भारत का औषधि नियंत्रक, एक्सऑफिसियो सदस्य होता है।
- केंद्रीय औषधि प्रयोगशाला का निदेशक, एक्स ऑफिसियो सदस्य होता है।
- विश्वविद्यालयअनुदान आयोग का एकप्रतिनिधि औरअखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद् का एक प्रतिनिधि।
- प्रत्येक राज्य का एक प्रतिनिधि सदस्य जिसे सम्बद्ध राज्य परिषद् के सदस्यों द्वारा चुना जाएगा और जो पंजीकृत भेषजज्ञ (फार्मासिस्ट) होगा।
- प्रत्येक राज्य का एक प्रतिनिधि सदस्य जिसे सम्बद्ध राज्य सरकार द्वारा चुना जाएगा।
परिषद् के कृत्य एवं दायित्व
- भेषजज्ञ के तौर पर अर्हता प्राप्त करने के लिए शिक्षा के न्यूनतम मानक तैयार करना।
- पूरे देश में एक समान शैक्षिक मानकों के क्रियान्वयन को सुनिश्चित करना।
- फार्मेसी अधिनियम के तहत् अनुमोदन चाहने वाले संस्थानों का वांछित मानकों की उपलब्धता के सत्यापन के लिए जांच करना।
- केंद्रीय भेषजज्ञ रजिस्टर का प्रबंधन करना।
- भेषजज्ञों के लिए अध्ययन पाठ्यक्रम एवं परीक्षा का अनुमोदन करना।
- अनुमोदन को निरस्त करना, यदि भारतीय औषधि परिषद् द्वारा उपबंधित शैक्षिक मानकों के साथ अनुमोदित अध्ययन पाठ्यक्रम या अनुमोदित परीक्षण निरंतर सुसंगत नहीं है।