आणविक ऊर्जा विनियामक बोर्ड Atomic Energy Regulatory Board – AERB
आणविक ऊर्जा विनियामक बोर्ड (एईआरबी) का गठन 15 नवम्बर, 1983 को भारत के राष्ट्रपति द्वारा परमाणु ऊर्जा अधिनियम, 1962 द्वारा प्रदत शक्तियों को निर्वहन करने हेतु अधिनियम के तहत् विशिष्ट विनियामक एवं सुरक्षा कृत्यों को करनें के लिए किया गया। एईआरबी की विनियामक प्राधिकार आणविक ऊर्जा अधिनियम एवं पर्यावरण (संरक्षण) अधिनियम, 1986 के तहत् उल्लिखित नियमों एवं अधिसूचनाओं से प्राप्त हुई हैं।
बोर्ड में एक पूर्णकालिक अध्यक्ष, एक एक्सऑफिसियो सदस्य, तीन अंशकालिक सदस्य और एक सचिव होता है। इसके कृत्यों में कई समितियां मदद करती हैं। सभी एईआरबी समितियों के सदस्य सम्बद्ध क्षेत्र में लंबा अनुभव रखते हैं और आणविक ऊर्जा विभाग, विभिन्न सरकारी संगठनों, अकादमिक संस्थानों और उद्योग से आते हैं। सेवानिवृत विशेषज्ञ भी बड़ी संख्या में विभिन्न एईआरबी समितियों के सदस्य होते हैं।
बोर्ड का उद्देश्य है कि यह सुनिश्चित करना कि भारत में आयनीकृत विकिरण और आणविक उर्जा का इस्तेमाल स्वास्थ्य एवं पर्यावरण के लिए कोई अवांछित जोखिम उत्पन्न न करे।
एईआरबी के कृत्य
- विकिरण एवं औद्योगिक सुरक्षा क्षेत्रों दोनों में सुरक्षा नीतियां विकसित करना
- विभिन्न प्रकार की आणविक एवं विकिरण सुविधाओं की स्थापना, अभिकल्प, विनिर्माण, कृत्य, प्रचालन एवं अकृत्य के लिए सुरक्षा संहिता, निर्देशिका एवं मानक विकसित करना
- आणविक एवं विकिरण सुविधाओं की अवस्थापना के लिए और इसके विनिर्माण, कृत्य, प्रचालन एवं अकृत्य के लिए उचित सुरक्षा समीक्षा एवं मूल्यांकन के पश्चात् सहमति प्रदान करना
- एईआरबी द्वारा अनुशंसित एवं समीक्षा, मूल्यांकन, नियामकीय परीक्षण एवं प्रवर्तन द्वारा सभी चरणों के लिए दी गई सहमति के नियामकीय आवश्यकताओं की प्रासंगिकता सुनिश्चित करना
- आणविक एवं विकिरण सुविधाओं के लिए आपात तैयारी योजना की समीक्षा करना
- रेडियोएक्टिव स्रोतों, किरणित ईंधन एवं जीवाश्म पदार्थ के परिवहन की समीक्षा करना
- सुरक्षा के क्षेत्रों में अनुसंधान एवं विकास संवर्द्धन का प्रयास करना
- रेडियोलॉजिकल सुरक्षा के महत्व के व्यापक मुद्दों पर लोक हित में सूचना हेतु जरूरी कदम उठाना
- देश में संविधिक निकायों और साथ ही विदेशी संस्थाओं से सुरक्षा मामलों पर बातचीत एवं विचार-विमर्श करते रहना।