केंद्रीय विद्युत विनियामक आयोग Central Electricity Regulatory Commission – CERC

केंद्रीय विद्युत विनियामक आयोग एक वैधानिक निकाय है जो विद्युत अधिनियम 2003 की धारा-76 के अंतर्गत कार्यरत है। केन्द्रीय विद्युत विनियामक आयोग को शुरू में विद्युत विनियामक आयोग अधिनियम, 1998 के अंतर्गत 24 जुलाई, 1998 को गठित किया गया था।

मिशन

आयोग की थोक विद्युत बाजारों में प्रतिस्पर्द्धा, कार्यकुशलता और मितव्ययिता को बढ़ावा देने, सप्लाई की गुणवत्ता में सुधार करने, मांग आपूर्ति के अंतर, जिससे ग्राहकों के हितों का संपोषण हो, को पाटने के लिए संस्थागत बाधाओं को दूर करने के सम्बन्ध में सरकार को सलाह देने की योजना है।

आयोग के उद्देश्य

  • भारतीय विद्युत ग्रिड संहिता, उपलब्धता आधारित टैरिफ (एबीटी) के माध्यम से क्षेत्रीय पारेषण प्रणालियों के प्रचालन और प्रबंधन में सुधार करना,
  • एक कारगर टेरिफ निर्धारण तंत्र को तैयार करना जिससे थोक विद्युत और पारेषण सेवाओं की कीमत के संबंध में मितव्ययिता और कार्यकुशलता और न्यूनतम लागत पर निवेश सुनिश्चित होगा,
  • अंतर-राज्यिक पारेषण में निर्बाध पहुंच को सरल बनाना
  • अंतर-राज्यिक व्यापार को सरल बनाने के लिए एक बाजार संरचना के सृजन द्वारा विद्युत् बाजार के विकास को प्रोत्साहन देना
  • सभी पण्यधारियों के लिए जानकारी देने में सुधार,
  • थोक ऊर्जा तथा पारेषण सेवाओं में प्रतिस्पर्द्धात्मक बाजार के विकास के लिए अपेक्षित तकनीकी तथा संस्थानिक परिवर्तनों को सरल बनाना,
  • प्रतिस्पर्द्धात्मक बाजारों के सृजन के प्रथम उपाय के रूप में, पर्यावरणीय, सुरक्षा तथा विद्यमान विधायी अपेक्षाओं की सीमा के भीतर पिनजी तथा प्रबंधन के लिए प्रवेश तथा निकासी की बाधाओं के सम्बन्ध में सलाह देना।

आयोग के दायित्व एवं कृत्य

  • केन्द्रीय सरकार के स्वामित्व विनियमन करना
  • खंड (क) में विनिर्दिष्ट केन्द्रीय सरकार के स्वामित्व वाली या उसके द्वारा नियंत्रित उत्पादन कपनियों से भिन्न उत्पादन कपनियों के टेरिफ का विनियमन करना यदि ऐसी उत्पादन कपनियां एक राज्य से अधिक राज्यों में विद्युत के उत्पादन और विक्रय के लिए संयुक्त स्कीम में शामिल होती है या अन्यथा उनकी ऐसी कोई संयुक्त स्कीम है
  • विद्युत के अंतर-राज्यिक पारेषण को विनियमित करना
  • विद्युत के अंतर-राज्यिक पारेषण के लिए टैरिफ अवधारित करना
  • किन्हीं व्यक्तियों को पारेषण अनुज्ञप्तिधारी और उनकी अंतर-राज्यिक संक्रियाओं की बावत विद्युत व्यापारी के रूप में कृत्य करने के लिए अनुज्ञप्ति जारी करना
  • उपर्युक्त खंड (क) से खंड (घ) तक से संसक्त विषयों के संबंध में उत्पादन कंपनियों या पारेषण अनुज्ञप्तिधारी को अंतर्वलित करने वाले विवादों का न्यायनिर्णयन करना तथा मध्यस्थता के लिए किसी विवाद को निर्दिष्ट करना
  • अधिनियम के प्रयोजनों के लिए फीस उद्गृहीत करना
  • ग्रिड मानकों को ध्यान में रखते हुए, ग्रिडकोड विनिर्दिष्ट करना
  • अनुज्ञप्तिधारियों द्वारा सेवा की गुणवत्ता, निरंतरता और विश्वसनीयता की बावत मानकों को विनिर्दिष्ट और प्रवृत्त करना
  • विद्युत के अंतर-राज्यिक व्यापार में, यदि आवश्यक समझा जाए, व्यापार अंतर को नियत करना
  • ऐसे अन्य कृत्यों का निर्वहन करना जो अधिनियम के अधीन समनुदेशित किए जाएं

केंद्रीय सरकार की निम्नलिखित पर सलाह देना

  • राष्ट्रीय विद्युत नीति और टैरिफ नीति बनाना
  • विद्युत उद्योग के क्रियाकलाप में प्रतिस्पर्द्धा, दक्षता और मितव्ययता का संवर्द्धन करना
  • विद्युत उद्योग में विनिधान का संवर्द्धन को बढ़ावा देना
  • केन्द्रीय सरकार द्वारा केंद्रीय आयोग को निर्दिष्ट कोई अन्य विषय


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