मरुस्थलीकरण से लड़ने के लिये अभिसमय Convention to Combat Desertification – UNCCD
मरुस्थलीकरण से लड़ने के लिये अंतरराष्ट्रीय अभिसमय पर हस्ताक्षर 14 अक्टूबर, 1994 को पेरिस में हुए। यह अभिसमय सूखे तथा मरुस्थलीकरण के भौतिक, जैविक और सामाजिक पहलुओं से जूझने के लिए एक एकीकृत दृष्टिकोण की मांग करता है। रियो पृथ्वी सम्मेलन के पश्चात् इस अभिसमय के लिये वार्ताएं शुरू हुईं। इन वार्ताओं में उन अफ्रीकी देशों की जरूरतों पर विशेष रूप से ध्यान दिया गया, जो मरुस्थलीकरण के परिणामस्वरूप बार-बार सूखे की समस्या से ग्रस्त हो जाते हैं।
अभिसमय का प्रमुख उद्देश्य है-सभी स्तरों पर प्रभावशाली कार्यवाहियों (अंतरराष्ट्रीय सहयोग और साझेदारी व्यवस्थाओं द्वारा) के माध्यम से सूखे और मरुस्थलीकरण की गंभीर समस्याओं से जूझ रहे देशों में इन समस्याओं के प्रभाव को कम करना।
अभिसमय के प्रावधानों के अनुसार, हस्ताक्षरकर्ता देशों को मरुस्थलीकरण और सूखेपन की प्रक्रियाओं के भौतिक, जैविक और सामाजिक-आर्थिक पहलुओं से निपटने के लिए एकीकृत दृष्टिकोण अपनाना होगा। ये प्रावधान मरुस्थलीकरण और सूखेपन से लड़ने की दिशा में गरीबी-निवारण के लिए एकीकृत नीति की मांग करते हैं। अभिसमय भूमि और संसाधनों के संरक्षण तथा पर्यावरण की रक्षा के लिये प्रभावित सदस्य देशों के बीच सहयोग बढ़ाने की मांग करता है क्योंकि मरुस्थलीकरण और सूखेपन से इनका प्रत्यक्ष संबंध होता है। साथ ही, अभिसमय अनुसन्धान, तकनीकी स्थानान्तरण, क्षमता निर्माण, जागरूकता सृजन तथा इन गतिविधियों के लिए मुद्रा कोष के संघटन की मांग करता है।