ग्रीनपीस Greenpeace

मुख्यालय: एम्सटर्डम, नीदरलैंड।

सदस्यता: 5 मिलियन से अधिक।

उद्भव एवं विकास

ग्रीनपीस 1971 में कनाडा में स्थापित एक अंतरराष्ट्रीय पर्यावरण संगठन है। यह उन सरकारी और औद्योगिक नीतियों को प्रकाश में लाने तथा परिवर्तित करने के लिये कार्यरत है, जो पर्यावरण और प्रकृति के लिये हानिकारक होते हैं। यह व्हेल के शिकार, नाभिकीय अस्त्रों के प्रसार, समुद्रतटीय तेल खुदाई, रेडियोधर्मी अवशेषों के समुद्र में जमाव, वन्य जीवों के शिकार, प्रदुषण और प्राकृतिक निवास (habitat) के क्षय का विरोध करता है।

उद्देश्य

ग्रीनपीस का उद्देश्य पृथ्वी की प्रकृति को इसकी विविधता के साथ उपयोग करना है। यह ऐसी सरकारी और औद्योगिक नीतियों की सामने रखता है या परिवर्तित कराता है जो पर्यावरण एवं प्राकृतिक संसार के लिए खतरा उत्पन्न करती है। यह व्हेल मारने, नाभिकीय हथियारों के प्रसार, अपतटीय तेल अपकर्षण, महासागर में रेडियो सक्रिय अपशिष्ट निपटान और आखेट, प्रदूषण और अधिवास नष्ट होने से वन्य जीव को होने वाले खतरों का विरोध करता है।

संरचना


ग्रीनपीस एम्सटर्डम, नीदरलैंड और विभिन्न देशों में प्रादेशिक कार्यालयों का ग्रीनपीस इंटरनेशनल के नाम से संचालन करता है। क्षेत्रीय कार्यालय ग्रीनपीस इंटरनेशनल की निगरानी में व्यापक तौर पर स्वायत्त रूप से कार्य करते हैं। ग्रीनपीस के कार्यकारी निदेशक का चुनाव ग्रीनपीस इंटरनेशनल के बोर्ड के सदस्यों द्वारा किया जाता है। प्रत्येक क्षेत्रीय कार्यालय क्षेत्रीय कार्यकारी निदेशक द्वारा चलाया जाता है जिसका चुनाव क्षेत्रीय बोर्ड के निदेशकों के द्वारा किया जाता है। क्षेत्रीय बोर्ड ग्रीनपीस इंटरनेश्नल के लिए वार्षिक जनरल मीटिंग हेतु एक प्रतिनिधि की भी नियुक्ति करते हैं, जहाँ प्रतिनिधि ग्रीनपीस इंटरनेशनल के निदेशक मण्डल का चयन करते या हटाते हैं।

वार्षिक आम बैठक कार्यालयों के प्रतिनिधियों और ग्रीनपीस इंटरनेशनल के निदेशक मण्डल के साथ मिलकर ग्रीनपीस के लिए समग्र सिद्धांतों और रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण मामलों का निर्धारण एवं चर्चा करती है।

गतिविधियां

ग्रीनपीस के आरम्भिक अभियानों के उद्देश्य थे- सील मछलियों और व्हेलों की रक्षा करना; न्युफाउंडलैंड के तट पर सील के बच्चों (baby harp) को मारने का विरोध करना, तथा; उच्च-समुद्र प्रवाही जालों (high-sea drift nets) को समाप्त करना। बाद में संगठन ने परमाणु अस्त्र परीक्षणों का विरोध करना शुरू कर दिया। हाल में, विषैले पदार्थों, विशेषकर स्थायी कार्बनिक प्रदूषक (पीओपी) के उत्पादन पर रोक ग्रीनपीस का एक मुख्य क्षेत्र बन गया है। स्थायी कार्बनिक प्रदूषकों के जमा होने के बाद वे पर्यावरण में कई वर्षों तक सक्रिय रहते हैं। ग्रीनपीस ने इनके उत्पादन पर रोक लगाने की मांग की है क्योंकि इनके अनावरण (exposure) की कोई सुरक्षित सीमा नहीं है। ग्रीनपीस ने डायोक्सीन (dioxins) नामक रासायनिक यौगिकों को भी अपना लक्ष्य बनाया है, क्योंकि यह डायोक्सीन की एक विषैले पदार्थ के रूप में देखता है।

ग्रीनपीस के सदस्य प्रत्यक्ष और अहिंसक विरोध का मार्ग अपनाते हैं। पर्यावरण की दृष्टि से हानिकारक गतिविधियों वाले क्षेत्रों का भ्रमण करना तथा इन गतिविधियों को रोकना ग्रीनपीस के सदस्यों के कार्यों में सम्मिलित है। संगठन विरोध करने हेतु अपने अभियान जलयान, रेनबो वैरियर (Rainbow Warrior) का उपयोग करता है। मूल रेनबो वैरियरको वर्ष 1977 में प्राप्त किया गया। 10 जुलाई, 1985 को फ्रांस की सुरक्षा एजेंसियों ने उस समय रेनबो वैरियर पर बमबारी की जब यान को ऑकलैंड (न्यूजीलैंड) बन्दरगाह पर लाया गया। जलयान मुरोरोआ (Muroroa) प्रवाल द्वीप (atoll) में फ्रांस के परमाणु परीक्षण का विरोध करने के अपने अभियान में उस प्रवाल द्वीप की ओर गया था। फ्रांसीसी बमबारी के बाद 1989 में ग्रीनपीस ने एक दूसरे जलयान को ग्रहण किया।

1998-99 में रैनबो वैरियर ने भावी विषैले पदार्थ मुक्त एशिया भ्रमण (Toxic Free Future Tour of Asia) प्रारम्भ किया। रेनबो वैरियरका यह भ्रमण 1998 में दक्षिण अमेरिका से प्रारम्भ हुआ तथा जलयान भ्रमण के दौरान यूरोप के उत्तरी पोतों तथा भूमध्यसागर से होकर गुजरा। भारत के भोपाल स्थित यूनियन कार्बाइड फैक्ट्री दुर्घटना की 15वीं वर्षगांठ से मेल खाते इस अभियान का लक्ष्य हानिकारक अपशिष्टों (wastes) के व्यापार और हानिकारक अवशेष उत्पन्न करने वाली तकनीक के निर्यात के संबंध में जागरूकता उत्पन्न करना था।

ग्रीनपीस नाभिकीय शक्ति को पारस्परिक तौर पर बड़ी समस्याओं वाले सूक्ष्म उद्योग के तौर पर देखता है, जैसे यूरेनियम खदान से पर्यावरणीय हानि एवं जोखिम, नाभिकीय आयुध अप्रसार, और नाभिकीय अपशिष्ट से संबंद्ध अनुत्तरित प्रश्न।

ग्रीनपीस का लक्ष्य प्राथमिक वनों का वनकटान एवं हानि से संरक्षण करके वर्ष 2020 तक वनकटान को शून्य करना है। ग्रीनपीस ने यूनीलिवर नाइक, केएफसी, किटकेट और मैकडोनाल्ड जैसे कई निगमों को उष्णकटिबंधी वर्षा वनों के कटान के लिए दोषी ठहराया है। ग्रीनपीस ने अन्य पर्यावरणीय एनजीओ के साथ मिलकर विगत् दस वर्षों के अभियान द्वारा यूरोपीय संघ पर अवैध लकड़ी के आयात को प्रतिबंधित करने पर दबाव डाला है। जिसके परिणामस्वरूप यूरोपीय संघ ने जुलाई 2010 से अवैध लकड़ी के आयात को प्रतिबंधित कर दिया।

वर्षा वनों से संबंद्ध ग्रीन पीस का दूसरा अभियान पाम ऑयल को हतोत्साहित करना है। यह अभियान इंडोनेशिया में बेहद सक्रिय रहा है, जहां पहले ही 6 मिलियन हेक्टेयर भूमि का प्रयोग पाम ऑयल रोपण के लिए किया जा चुका है और 2015 तक 4 मिलियन हेक्टेयर भूमि को इसके अंतर्गत लेन की योजना है। ग्रीनपीस इस बात की जागरूकता फ़ैलाने का प्रयास कर रहा है की पाम आयल का उत्पादन वनों की विविधता के लिए घातक हो सकता है, और सरकार एवं उद्योगों से ऊर्जा के दूसरे संसाधनों को अपनाने का निवेदन करता है।

ग्रीन पीस ने व्हेल के शिकार के विरुद्ध भी कई कार्य किए हैं। गोल्डन राइस के नियोजित उपयोग का भी विरोध किया है, जो ओरिज सटीवा राइस की एक किस्म है और जिसका उत्पादन बायोसिथेसाइज ऑफ़ बीटा-केरोटिन की जेनेटिक इंजीनियरिंग द्वारा होता है।

जुलाई 2011 में, ग्रीनपीस ने अपनी डर्टी लॉन्ड्री नामक रिपोर्ट जारी की जिसमें विश्व के नामी फैशन और स्पोर्ट्स वियर कंपनियों पर आरोप लगाया गया था कि वे चीन की नदियों में भारी मात्रा में विषाक्त अपशिष्ट मुक्त कर रहे हैं।

वर्ष 2013 में ग्रीनपीस ने डीटॉक्स फैशन नामक अभियान छेड़ा, जिसने नदियों में उनके कपड़ों के उत्पादन के परिणामस्वरूप प्रवाहित किए जाने वाले विषाक्त रसायनों को रोकने के लिए कुछ नामी फैशन ब्रांड्स को इसमें शामिल किया।

आर्कटिक-पर्यावरणीय प्रोटोकॉल को प्राप्त करने के लिए 2012 और 2013 में सेव द आर्कटिक नामक सफल अभियान ग्रीनपीस द्वारा शुरू किए गए।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *