चौबीस देशों का समूह Group of 24 – G-24
सदस्यता: क्षेत्र I (अफ्रीका से): अल्जीरिया, कोट डी’ आइवरी, मिस्र, इथोपिया, गैबन, घाना, नाइजीरिया, दक्षिण अफ्रीका और लोकतांत्रिक गणराज्य कांगो।
क्षेत्र II (लैटिन अमेरिका और करेबिया से): अर्जेंटीना, ब्राजील, कोलंबिया, ग्वाटेमाला, मैक्सिको, पेरू, त्रिनिदाद एवं टोबैगो और वेनेजुएला।
क्षेत्र III (एशिया से): भारत, ईरान, लेबनान, पाकिस्तान, फिलीपींस, श्रीलंका तथा सीरियाई अरब गणतंत्र।
विशेष आमंत्रित: चीन।
उद्भव एवं उद्देश्य
अंतरराष्ट्रीय मौद्रिक विषयों पर चौबीस देशों के अन्तर-सरकारी समूह (जी-24) का गठन 1971 में हुआ। इसका मुख्य उद्देश्य मौद्रिक और वित्तीय विकास विषयों पर विकासशील देशों की स्थितियों में सामंजस्य स्थापित करना है।
संरचना
जी-24 का संचालन दो स्तरों पर होता है-वित्त मंत्रियों/केन्द्रीय बैंक के गवर्नरों के राजनीतिक स्तर पर तथा प्रतिनिधियों के रूप में निर्दिष्ट अधिकारियों के स्तर पर।
चर्चाएं प्रतिनिधियों के स्तर पर आयोजित होती हैं तथा मंत्रियों के स्तर पर समाप्त होती हैं, जहां उस दस्तावेज (document) का अनुमोदन होता है, जिसमें सदस्य देशों के द्वारा विशेष हित वाले विषयों पर सर्वसम्मति से लिये गये निर्णय सम्मिलित रहते हैं। मंत्रिस्तरीय दस्तावेज बैठकों के अंत में आयोजित संवाददाता सम्मेलन में एक लोक विज्ञप्ति के रूप में प्रकाशित होता है। जी-24 में सभी निर्णय सर्वसम्मति से लिये जाते हैं।
जी-24 की वर्ष में दो बैठकें होती हैं, जो अंतरराष्ट्रीय मौद्रिक और वित्तीय समिति (आईएमएफसी) तथा विश्व बैंक और आईएमएफ की संयुक्त विकास समिति की स्प्रिंग एंड फॉल (springe and fall) बैठकों से पूर्व आयोजित होती है। जी-24 की पूर्णाधिकारी (Plenar) बैठकों को आईएमएफ और विश्व बैंक समूह के प्रधान तथा संयुक्त राष्ट्र संघ के वरिष्ठ अधिकारी संबोधित करते हैं। जी-77 देशों को जी-24 की बैठकों में पर्यवेक्षक सदस्यों के रूप में सम्मिलित होने के लिये आमंत्रित किया जाता है, जबकि चीन को इन बैठकों में विशेष अतिथि का दर्जा दिया गया है तथा वह इन्हें संबोधित करता है।
तीन पदधारी देश हैं- अध्यक्ष, प्रथम उपाध्यक्ष और द्वितीय उपाध्यक्ष, जो तीन क्षेत्रों का प्रतिनिधित्व करते हैं और जी-24 ब्यूरो के सदस्य होते हैं। एक निर्वाचित देश प्रथम बारह महीने तक द्वितीय उपाध्यक्ष रहता है, दूसरे वर्ष प्रथम उपाध्यक्ष बन जाता है और फिर अगले वर्ष अध्यक्ष बन जाता है। अध्यक्ष देश दो उपाध्यक्ष देशों के साथ मिलकर जी-24 की बैठकों की तैयारी करता है और संवाददाता-सम्मेलन का संचालन करता है। पदधारी देशों के राष्ट्रीय अधिकारियों को आईएमएफ/विश्व बैंक में उनके कार्यकारी निदेशकों के कार्यालयों के अधिकारी सहायता पहुंचाते हैं।
गतिविधियां
जी-24 अंतरराष्ट्रीय मौद्रिक और वित्तीय विषयों पर एक अध्ययन कार्यक्रम संचालित करता है। 1994 में जी-24 ने सदस्य देशों की अनुसंधान एजेंसियों के अधिकारियों से बने एक तकनीकी समूह का गठन किया। प्रथम उपाध्यक्ष देश की अध्यक्षता वाले इस समूह का कार्य अनुसंधान अध्ययनों के नीतिगत महत्व को समझना तथा निकालना है ताकि प्रतिनिधियों और मंत्रियों के स्तर पर आयोजित अनुवर्ती चर्चाओं को व्यापक बनाया जा सके। निर्गम (release) के लिए अनुमोदित दस्तावेजों का प्रकाशन अंकटाड सचिवालय के द्वारा होता है, जो जी-24 अनुसंधान कार्यक्रम के लिये एक न्यास कोष का भी प्रशासन करता है।
जी-77 के वह अन्य सभी सदस्य, जो जी-24 में शामिल नहीं हैं, भी जी-24 की बैठकों में भाग ले सकते हैं। चीन विशेष आमंत्रित (Special Invitee) के तौर पर इन बैठकों में भाग लेता है।
28 वर्षों के अंतराल के पश्चात् 22 सितंबर, 2011 में भारत को पुनः जी-24 की अध्यक्षता प्राप्त हुई। भारत इससे पूर्व 1983-84 में जी-24 का अध्यक्ष रहा था। बाद में 3 अक्टूबर, 2009 को इस्तांबुल बैठक में भारत को जी-24 का द्वितीय उपाध्यक्ष चुना गया था जिससे सितंबर 2010 में यह इसका प्रथम उपाध्यक्ष बना।