अंतर्राष्ट्रीय सामुद्रिक संगठन International Maritime Organisation – IMO
इस संगठन की स्थापना संयुक्त राष्ट्र सामुद्रिक सम्मेलन (1948, जेनेवा) में स्वीकृत एक संधि के अनुसार अंतरसरकारी सामुद्रिक परामर्शी संगठन (आईएमसीओ) के रूप में की गयी थी। उक्त संधि मार्च 1958 में लागू हुई तथा आईएमसीओ द्वारा जनवरी 1959 से अपना कार्य आंरभ कर दिया। मई 1982 में संगठन को वर्तमान नाम दिया गया गया। इस संगठन का मुख्यालय लंदन में है तथा इसके पूर्ण सदस्यों की संख्या 157 एवं सहयोगी सदस्यों की संख्या 2 है।
यह संगठन अंतरराष्ट्रीय व्यापार में संलग्न जहाजरानी को प्रभावित करने वाले तकनीकीमामलों से जुडी सरकारी गतिविधियों एवं विनियमों के क्षेत्र में सरकारों के मध्य सहयोग को बढ़ावा देता है। यह सामुद्रिक सुरक्षा, परिवहन की कार्यक्षमता तथा जहाजों से उत्पन्न सामुद्रिक प्रदूषण के नियंत्रण व रोकथाम से संबद्ध मामलों में उच्चतम व्यावहारिक मानदंडों के सामान्य स्वीकरण को प्रोत्साहित करता है तथा सामुद्रिक गतिविधियों से संबंधित वैधानिक मामलों से निबटता है।
आईएमओ द्वारा अपने उद्देश्यों की प्राप्ति के लिए तथा अंतरराष्ट्रीय सामुद्रिक संधियों की रूपरेखा तय करने हेतु अंतरराष्ट्रीय सामुद्रिक सम्मेलन आयोजित किया जाता है। यह सामुद्रिक मामलों को विनियमित करने वाली अंतर्राष्ट्रीय संधियों को लागु करने में एक अधिकरण की भूमिका भी निभाता है।
आईएमओ के प्रमुख अंगों में सभा, परिषद, सचिवालय तथा चार मुख्य समितियां (वैधानिक समिति, सामुद्रिक सुरक्षा समिति, सामुद्रिक पर्यावरण संरक्षण समिति एवं तकनीकी सहयोग समिति) शामिल हैं। सभा प्रमुख नीति-निर्माता अंग है, जिसमें सभी सदस्य देश शामिल होते हैं। इसकी बैठक प्रत्येक दो वर्ष के बाद होती है। यह आईएमओ के कार्यक्रमों का निर्धारण करती है, बजट को अनुमादेन करती है।
32 सदस्यीय परिषद आईएमओ के सभी कार्यों (सामुद्रिक सुरक्षा समिति के विचाराधीन मामलों को छोड़कर) के निष्पादन हेतु उत्तरदायी है। इसकी बैठक वर्ष में दो बार होती है। चारों मुख्य समितियां अपनी सिफारिशें परिषद के माध्यम से ही सभा के समक्ष प्रस्तुत करती हैं। सामुद्रिक सुरक्षा समिति से संबद्ध कई उप-समितियां आईएमओ के तकनीकी कार्यों को निष्पादित करती हैं।