जनसंख्या की वृद्धि, घनत्व, वितरण एवं संरचना Population Growth, Density, Distribution And Structure
जनसँख्या में निरंतर वृद्धि Successive Growth in Population
अत्यन्त प्राचीन काल से लेकर मध्ययुग तक के लम्बे ऐतिहासिक काल में विश्व की जनसंख्या बहुत घीमी गति से ही बढ़ी। तब जनसंख्या की वार्षिक वृद्धि भी अनेक कारणों से बहुत सीमित बनी रही। सन् 1650 में विश्व की जनसंख्या केवल 55 करोड़ थी, किन्तु 1970 में यह 370 करोड़ हो गयी। यह बड़ा रोचक तथ्य है कि लगभग 10 लाख वर्षों में विश्व की जनसंख्या घीरे-घीरे 55 करोड़ हो पायी थी, जबकि अगले 300 वर्षों में यह 6 गुनी अधिक बढ़ी (1960 में) और उसके बाद पिछले 37 वर्षों में (1996) में यह 565 करोड़ हो गयी तथा वर्ष 2006 में 650 करोड़ हो गयी। इसे अभूतपूर्व वृद्धि कह सकते हैं। वृद्धि की दर आरम्भ में काफी घीमी रही है जबकि 1950 के बाद इसमें उल्लेखनीय वृद्धि हुई।
विश्व की जनसंख्या वृद्धि दर संलग्न तालिका से स्पष्ट है –
विश्व में जनसंख्या का विकास
वर्ष | जनसंख्या (लाख) | वर्ष | जनसंख्या (लाख) |
ई. पू. 5000 | 20.00 | 1950 | 25,000 |
सन् प्रारम्भ | 25.60 | 1960 | 30,000 |
1000 ई. सन् | 30.00 | 1970 | 37,000 |
1300 ई. सन् | 40.00 | 1980 | 44,100 |
1656 | 55.00 | 1991 | 54,800 |
1750 | 70.00 | 2002 | 62,111 |
1800 | 120.00 | 2006 | 65,000 |
1900 | 16,000 | 2050 अनुमानित | 92,000 |
1920 | 18,000 |
अभी हाल ही में UNO द्वारा अनुमान लगाया गया है कि सन् 2050 तक विश्व की जनसंख्या 920 करोड़ के लगभग हो जाएगी। एक अन्य वैज्ञानिक के अनुसार 2060 तक विश्व के धरातल पर जनसंख्या इतनी बढ़ जाएगी कि एक व्यक्ति को भूमि पर रहने के लिए केवल एक वर्ग मीटर ही भूमि उपलब्ध होगी, किन्तु तब तक अधिकांश देशों की वृद्धि दर 1.5 प्रतिशत प्रतिवर्ष से भी नीचे पहुँच जाएगी।
जनसँख्या चक्र Population Cycle
विश्व की जनसंख्या की वृद्धि के इतिहास पर दृष्टिपात करने से जनसंख्या विकास की अनेक अवस्थाएँ देखने को मिलती हैं। विद्वानों ने इन्हें सामान्यतः पाँच अवस्थाओं में वर्गीकृत किया है-
- उच्च अचल अवस्था,
- शीघ्र वृद्धि वाली अवस्था,
- विलम्व से वृद्धि वाली अवस्था,
- निम्न अचल अवस्था,
- हास होती हुई अवस्था
उच्च अचल अवस्था High Stationary Stage
इस श्रेणी के अन्तर्गत वे देश आते हैं जिनकी मृत्यु दर और जन्म दर दोनों ही ऊँची हैं। जन्म दर प्रति 1,000 पीछे 40 से 50 और मृत्यु दर भी लगभग उतनी ही है। अतः दोनों दरों के समान होने के कारण जनसंख्या की वृद्धि नहीं के बराबर होती है। इन देशों की अर्थव्यवस्था मुख्यतः कृषि आदि पर ही निर्भर है। यदि जनसंख्या में वृद्धि होती है तो अकाल, महामारियों, बाढ़, आदि से बहुत हानि होकर जनसंख्या में कमी भी हो जाती है। इस प्रकार के क्षेत्रों में अफ्रीका में नाइजिरिया,, सूडान, इथियोपिया, तंजानिया, अंगोला, घाना, मोजाम्बिक, एशिया में अरब, तिब्बत और नेपाल हैं। अब यहाँ पर स्वास्थ्य की दशाओं में सुधार के साथ-साथ मृत्युदर तेजी से घटती जा रही है, अतः यह देश भी दूसरी अवस्था में आते जा रहे हैं।
शीघ्र वृद्धि वाली अवस्था Early Expanding Stage
इस श्रेणी के अन्तर्गत वे देश सम्मिलित किए जाते हैं, जिनकी जन्म दर तो अधिक होती है, किन्तु स्वास्थ्य सम्बन्धी सुविधाओं के बढ़ जाने के कारण मृत्यु दर में कमी हो गयी है। इनकी जन्म एवं मृत्यु दर क्रमशः 40 और 15 प्रति 1,000 होती है, अतः जनसंख्या में अधिक वृद्धि होती है। इस श्रेणी के देशों में कृषि के साधन उत्तम हैं, उत्तम प्रकार की खाद, बीज और सिंचाई के सहारे अकाल तथा सूखे पर विजय प्राप्त कर अधिक भोज्य पदार्थ उत्पन्न किए जाते हैं। खनिज पदार्थों वाले क्षेत्रों में औद्योगीकरण भी हो रहा है। इस प्रकार के क्षेत्रों के मुख्य देश एशिया में भारत, म्यांमार, श्रीलंका, मलेशिया, थाईलैंड, लाओस, इंडोनेशिया, फिलिपीन्स, ताइवान, वियतनाम, कम्बोडिया, कोरिया गणतंत्र, तुर्की, इजराइल, ईरान, इराक, अफ्रीका में लीबिया, अल्जीरिया, मोरक्को, मिस्र, मेडागास्कर, मध्य अफ्रीका लैटिन अमरीका के देश (चिली, यूरुग्वे और अर्जेण्टाइना को छोड़कर) हैं।
विलम्ब से वृद्धि वाली अवस्था Late Expanding Stage
इस प्रकार की अवस्था की मुख्य विशेषता जन्म और मृत्यु दर में कमी होना है। इन देशों में जन्म दर 10 से 16 और मृत्यु दर से 12 प्रति 1,000 है। इस प्रकार के क्षेत्रों की अर्थव्यवस्था में उन्नत और आधुनिक प्रकार की कृषि और उद्योग का मुख्य स्थान है। उद्योग-धन्धों की वृद्धि के कारण जनसंख्या शहरों में अधिक रहने लगती है। रूस, जापान, अर्जेण्टाइना, पोलैण्ड, बल्गारिया, रोमानिया, यूगोस्लाविया, इटली, स्पेन, चिली और यूरुग्वे इस श्रेणी के प्रमुख देश हैं।
निम्न अचल अवस्था Low Stationary Stage
इस प्रकार के क्षेत्रों में जन्म और मृत्यु दर दोनों ही कम होती हैं। (साधारणत: 8 और 12 प्रति ,000 पीछे, अतः जनसंख्या प्रायः स्थिर है। इस प्रकार के देशों को भविष्य में जनसंख्या के घटने का डर है, अतएव वे अपनी जनसंख्या को बढ़ाने के निमित्त कई उपाय काम में ला रहे हैं, यथा कुंवारे स्त्री पुरुषों को अधिक कर देना पड़ता है, विवाहित स्त्री पुरुषों को प्रति सन्तान पीछे उसके भरण-पोषण के लिए राज्य से विशेष भत्ता मिलता है। परिवार की यात्रा, शिक्षा, स्वास्थ्य सेवाओं तथा मनोरंजन के साधनों का भी व्यय दिया जाता है। इस श्रेणी के मुख्य देश पश्चिमी, उत्तरी और मध्यवर्ती यूरोप के देश बेल्जियम, डेनमार्क, न्यूजीलैण्ड, ब्रिटेन, स्विट्जरलैण्ड, चैक व स्लोवाक गणराज्य, रूस आस्ट्रेलिया, न्यूजीलैण्ड, आदि हैं, एशिया का कोई भी देश इस श्रेणी के अन्तर्गत नहीं आता।
ह्रास होती हुई अवस्था Declining Stage
इस श्रेणी में वे क्षेत्र आते हैं, जिनमें मृत्यु दर अधिक होने के कारण जनसंख्या घटती जा रही है और इसलिए इन देशों की जनसंख्या समस्या जाति-आत्महत्या (Race sucide) की है। इस प्रकार के मुख्य देश फ्रांस व ब्रिटेन के विशेष क्षेत्र हैं।
यह एक उल्लेखनीय तथ्य है कि उपर्युक्त पाँच अवस्थाओं में से होती हुई किसी देश की जनसंख्या अपनी सन्तुलन अवस्था को कब तक प्राप्त हो जाती है। पश्चिमी यूरोप के देश इन सभी अवस्थाओं में से गुजरते हुए अन्तिम अवस्था के निकट पहुँच चुके हैं। एशियाई देशों में चीन, भारत, पाकिस्तान, आदि सभी दूसरी अवस्था में से गुजर रहे हैं। इसलिए इनमें मृत्यु दर नीचे गिर रही है, फलतः इन देशों में जनसंख्या तीव्र गति से बढ़ रही है। अब चीन व भारत में भी जन्म दर भी घटने लगी है। 2010 के पश्चात् यही देश तीसरी अवस्था में पहुँच सकेंगे।
अभूतपूर्व जनसंख्या की वृद्धि के कारण Causes of Expanding Population Growth
जनसंख्या की वृद्धि के लिए कई कारण उत्तरदायी हैं। सामान्यतः किसी देश की जनसंख्या की वृद्धि पर प्रजनन शक्ति, मृत्यु, दर, प्रवास, आदि का विशेष प्रभाव पड़ता है। लिंग भेद, परिवार की सीमा, सामाजिक रीति-रिवाज तथा निवासियों का रहनसहन और उसकी आर्थिक स्थिति भी जनसंख्या की वृद्धि को प्रभावित करते हैं। किसी भी देश में विदेशियों का आवास राजनीतिक कारणों से अधिक नहीं होता, परिणाम स्वरूप जनसंख्या स्थानान्तरण का प्रभाव नगण्य रहता है।
स्थिर जन्म दर Stable Birth Rate- प्रति 1,000 व्यक्तियों के पीछे वर्ष में जितने बच्चे पैदा होते हैं, उस संख्या को जन्म दर कहा जाता है। यह जन्म दर विभिन्न देशों में भिन्न-भिन्न होती है। इस भिन्नता का मुख्य कारण सामाजिक दशाओं में अन्तर होता है। कहीं बाल-विवाह अधिक होते हैं, तो कहीं इन पर पूर्णतः सामाजिक प्रतिबन्ध पाया जाता है। कहीं विवाह अधिक होते हैं, तो कहीं कम। जो देश जितना अधिक दरिद्र होता है, वहाँ के निवासियों के रहन-सहन का स्तर उतना ही निम्न होता है, शिक्षा का अभाव मिलता है, बहु-विवाह अथवा बाल-विवाह का प्रचार पाया जाता है, अतः जन्म दर ऊँची होती है। अधिकांश विकासशील तथा कृषि प्रधान देशों की यही स्थिति है। अफ्रीका, नेपाल, अफगानिस्तान, भारत, पाकिस्तान, श्रीलंका, दक्षिण-पूर्वी एशियाई देश बाँग्लादेश इसके विशिष्ट उदाहरण हैं। अब भारत, चीन व श्रीलंका की स्थिति में सुधार हो रहा है। यहाँ की जन्म दर घीरे-घीरे घटती जा रही है।
निरन्तर घटती मृत्यु दर Ever Declining Death Rate- जन्म दर अधिक तथा मृत्युं दर कम होने पर जनसंख्या में वृद्धि तथा इसके विपरीत दशाओं में जनसंख्या का ह्रास होता है। 1950 के पश्चात् विकासशील देशों में स्वास्थ्य की दशा में सुधार, जच्चा-बच्चा की अधिक सुरक्षा से प्रसूति काल में कम मृत्यु, बाल मृत्यु पर नियन्त्रण होने, आदि कारणों से मृत्यु दर में तेजी से गिरावट आयी है। उष्णकटिबन्धीय व्याधियों (मलेरिया, पीला बुखार, प्लेग, हैजा, पेचिस, मोतीझरा तथा कुष्ठ रोग) और कटिबन्धीय व्याधियों यक्ष्मा, डिफ्थीरिया, निमोनिया तथा मूत्र सम्वन्धी रोगोंपर पूर्णतः नियन्त्रण कर लिया गया है। श्वाँस, हृदय तथा वृद्धावस्था की अनेक बीमारियाँ भी कम हो गयी हैं, फलतः अनेक देशों की मृत्यु दर में कमी हो गयी है। जन्म दर अभी ऊँची है और मृत्यु दर निरन्तर नीचे आ रही है, अतः ऐसे प्रदेशों में जनसंख्या में वृद्धि अधिक हो रही है। इस प्रकार जन्म दर पिछले 52 वर्षों के लगभग स्थिर रहने 25 से 40 प्रति हजार एवं मृत्यु दर में निरन्तर हास (25 से घटकर 8 तक) होने से जनसंख्या में चौंकाने वाली वृद्धि होती रही है।
अन्य कारण Other Causes
उपर्युक्त दो महत्वपूर्ण कारणों के अलावा आधुनिक काल में जनसंख्या वृद्धि के निम्नलिखित कारण हैं-
- जनसंख्या का स्थानान्तरण- यूरोपीय देशों से आस्ट्रेलिया, न्यूजीलैण्ड व दोनों अमरीका महाद्वीप की ओर 350 वर्षों से निरन्तर स्थानान्तरण।
- उपनिवेशिक शासन
- भरण पोषण की विशेष अनुकूल दशाएँ (चावल व गेहूं जैसे खाद्यान्नों में निरन्तर उत्पादन में वृद्धि)
- औद्योगीकरण, नगरीकरण तथा यातायात सुविधाओं का निकास एवं श्रमिकों द्वारा बेनामी जमीन पर तेजी से नगरों में गन्दी बस्तियों (Slums) का निर्माण।
- उन्नत व विकसित स्वास्थ्य सेवाएँ।
- पोषण में वृद्धि (पौष्टिक भोजन)
- राजनीतिक स्थिरता एवं महायुद्धों या क्षेत्रीय युद्धों का अभाव
जनसंख्या का वितरण Distribution Of Population
जनसंख्या के वितरण की दृष्टि से धरातल पर दो प्रकार के विशिष्ट क्षेत्र पाए जाते हैं-
- बसे हुए क्षेत्र
- बिना बसे हुए क्षेत्र
बसे हुए क्षेत्र Ecumene or Habitate Areas
सम्पूर्ण मानव जाति की 90% जनसंख्या तीन बड़े क्षेत्रों में केन्द्रित है-
- पूर्वी एवं दक्षिण-पूर्वी एशिया
- उत्तर-पश्चिमी यूरोप
- पूर्वी तथा मध्य संयुक्त राज्य अमरीका।
शेष जनसंख्या बिखरे हुए क्षेत्रों में पायी जाती है। ये बिखरे हुए समूह अधिकांशतः दक्षिण-पूर्वी एशिया मध्य-पूर्व और उत्तरी अफ्रीका, दक्षिण-पूर्वी अमरीका, मध्य मैक्सिको, मध्य अमरीका, गिनी की खाड़ी का , नील नदी की घाटी, मध्य एवं पूर्वी यूरोप व यूरोपीय रूस का मध्यवर्ती भाग तथा यूक्रेन का व मध्य व दक्षिणी भाग में हैं।
उपर्युक्त तीन समूह जनसंख्या के जमघट या जन कुञ्ज अथवा महा जनसमूह (Major Human Agglomerations) कहे जाते हैं और सभी उत्तरी गोलार्द्ध में हैं। इनकी तीन मुख्य विशेषताएँ हैं-
- भारत और इण्डोनेशिया को छोड़कर, सभी क्षेत्र समशीतोष्ण जलवायु वाले हैं।
- एशियाई जमघट पूर्णतः कृषि पर आधारित है, अतः उसकी संस्कृति चावल की कृषि या कॉप मिट्टी की संस्कृति है, जबकि अन्य दो जमघट वाणिज्य, व्यापार एवं उद्योगों पर निर्भर हैं, अत: उनकी संस्कृति औद्योगिक है।
- इन तीनों जमघट के बीच-बीच में कुछ कम बसे हुए क्षेत्र भी हैं।
- पूर्वी और दक्षिण-पूर्वी एशियाई जनसमूह- इसके अन्तर्गत खेती पर आधारित जनसंख्या का जमाव भारत में गंगा की मध्य व निचली घाटी, डेल्टाई भाग में, बांग्लादेश में सतलज, सिन्धु और ब्रह्मपुत्र के मैदान में चीन में ह्रॉगहो, यॉगटिसीक्याँग, सीक्यॉग और जेचवान बेसिन में जापान में समुद्रतटीय मैदानों में पाकिस्तान में सिन्धु घाटी के सिंचित क्षेत्रों में और अन्यत्र नगरों तथा गाँवों में पाया जाता है। इस जनसमूह में विश्व की लगभग 60% जनसंख्या केन्द्रित है।
- उत्तर-पश्चिमी यूरोपीय जनसमूह- इसके अन्तर्गत वे क्षेत्र आते हैं जो उत्तरी अक्षांश के सहारे एक लम्बी मेखला (Belt) के रूप में ब्रिटेन से लेकर रूस में डोनेज बेसिन तक चले गए हैं। यही क्षेत्र वास्तव सम्मिलित हैं। इस क्षेत्र का आर्थिक आधार मुख्यत: उद्योगों, वाणिज्य एवं व्यापार पर निर्भर करता है। इस जनसमूह में विश्व की लगभग 20% जनसंख्या निवास करती है।
- उत्तर-पूर्वी उत्तरी अमरीका जनसमूह- इसके अन्तर्गत घनी जनसंख्या के क्षेत्र संयुक्त राज्य अमरीका में बड़ी झीलों के पूर्वी भाग सम्मिलित हैं जो 30° उत्तर और 45° उत्तर के बीच तथा 100° पश्चिमी देशान्तर के पूर्व में फैला है। इस क्षेत्र में कृषि की प्रमुख पट्टियाँ और औद्योगिक केन्द्र पाए जाते हैं। जनसंख्या का अधिकांश भाग मिसीसिपी नदी के पूर्व में, ओहियो नदी के उत्तर में और सैण्ट लारेंस नदी तक फैला है। अधिक बसाव का क्षेत्र उत्तर में बोस्टन से लगाकर दक्षिण में फिलाडेलफिया तक फैला है। इस क्षेत्र में औद्योगीकरण के साथ-साथ कृषि का बड़ा विकास हुआ है तथा अधिकांश जनसंख्या ग्रामीण नगरों में रहती है। इस जनसमूह में विश्व की लगभग 5% जनसंख्या केन्द्रित पायी जाती है।
बिना बसे हुए क्षेत्र Non-ecumene or Empty Areas
विश्व के स्थलमण्डल का लगभग 70% भाग कम या विरल बसा हुआ है। यहाँ सम्पूर्ण विश्व की जनसंख्या का 5% से भी कम निवास करती है। इन सर्वथा निर्जन एवं प्रतिकूल क्षेत्रों में विश्व की मात्र 10% जनसंख्या ही बसी हुई है। सामान्यतः ऐसे चार क्षेत्र प्रमुख हैं-
- अति शीत क्षेत्र Cold Lands- यह आर्कटिक महासागर की सीमा पर है। यहाँ जनसंख्या की न्यूनता, छोटा उपजकाल, निम्न तापमान, भूमि में स्थायी पाले की स्थिति और कम उपजाऊ भूमि, आदि मुख्य भौतिक परिस्थितियाँ हैं। अण्टार्कटिका, ग्रीनलैण्ड तथा अन्य हिमाच्छादित क्षेत्रों (उत्तरी साइबेरिया, उत्तरी कनाडा, अलास्का) में भी जनसंख्या का अभाव है। टैगा प्रदेश में भी 60° अक्षांशों के निकट तो जनसंख्या बहुत ही थोड़ी है।
- उष्ण एवं मध्य अक्षांशीय मरुस्थलीय क्षेत्रों की गिनती भी जनविहीन भागों में की जाती है। इन क्षेत्रों में जल की कमी के कारण बहुत ही थोड़े भागों में कृषि की जाती है। अफ्रीका का सहारा और कालाहारी एशिया के अरब तुर्किस्तान, मंगोलिया, तकलामकान, थार एवं गोबी का मरुस्थल महान आस्ट्रेलियाई मरुस्थल संयुक्त राज्य का महान बेसिन एवं आन्तरिक पठार तथा दक्षिणी अमरीका के पैटागोनिया और अटाकामा के मरुस्थल अत्यधिक शुष्कता के कारण बहुत ही कम बसे हैं। यहाँ पर अब सिंचित प्रदेशों में दूर-दूर तक मरुद्यान के रूप में सघन छतों की भाँति छोटे-छोटे जनकुञ्ज विकसित होते जा रहे हैं। ऐसे जनकुञ्ज मिस्र, इराक, कज्जाक व खिरगीज गणराज्य, पश्चिमी भारत, पाकिस्तान, दक्षिण-पश्चिमी संयुक्त राज्य, आदि में देखे जा सकते हैं।
- विषुवत्रेखीय उष्ण-आर्द्र प्रदेश (अमेजन और कांगो की घाटियाँ, न्यूगिनी और उत्तरी आस्ट्रेलिया) में अधिक तापमान और वर्षा के कारण अनेक जहरीली व हानिकारक मच्छर और मक्खियाँ, साँप व अजगर, आदि पैदा होते हैं, जो अनेक रोगों के कारण हैं। उन प्रदेशों में उर्वरा मिट्टी व खनिज पदार्थों की कमी और परिवहन के मार्गों का अभाव, आदि प्रतिकूल कारणों से जनसंख्या बहुत कम पायी जाती है। जावा एवं नाइजीरिया इसका अपवाद है।
- ऊंचे पर्वत एवं पठारों (High Mountains and Plateaus) भी अनुपयुक्त जलवायु, खेतिहर भूमि की कमी तथा छिछली मिट्टी के कारण जनसंख्या बहुत ही कम मिलती है। हिमालय, रॉकी, आल्पस, एण्डीज, आदि की कठोर और गहरी व घातक पर्वत घाटियों में भी जनसंख्या कम पायी जाती है।
इस प्रकार महा जनकुञ्जों में विश्व की 72%, अन्य बसाव्र के क्षेत्रों में बिखरे हुए रूप में 23% एवं नगण्य या प्रायः जनशून्य क्षेत्रों में विश्व की 5% जनसंख्या आवासित है।
यह एक आश्चर्यजनक, किन्तु सत्य तथ्य है कि विश्व के धरातल के कुछ ही भागों पर जनसंख्या अधिक घनी है, अन्यत्र इसका वितरण असमान और विरल है। मोटे रूप में विश्व की 50% जनसंख्या भू-भाग के 18% क्षेत्र पर निवास करती है, जबकि दूसरी ओर 50% जनसँख्या भू-भाग पर 5% जनसंख्या ही है। एशिया के दक्षिण-पूर्वी देशों में यह सबसे अधिक है, जबकि लैटिन अमरीका, अफ्रीकी देश एवं मध्य व पश्चिमी एशिया के अधिकांश भाग तथा उत्तरी अमरीका और यूरोप के उत्तरी भाग प्राय: उजाड़ हैं।
विश्व के प्रमुख देशों की जनसंख्या इस प्रकार है (2014 के अनुसार)-
स्थान | देश | जनसँख्या | स्थान | देश | जनसँख्या |
World | 7,174,611,584 | ||||
1. | China | 1,355,692,576 | 26. | Korea, South | 49,039,986 |
2. | India | 1,236,344,631 | 27. | South Africa | 48,375,645 |
3. | United States | 318,892,103 | 28. | Spain | 47,737,941 |
4. | Indonesia | 253,609,643 | 29. | Colombia | 46,245,297 |
5. | Brazil | 202,656,788 | 30. | Kenya | 45,010,056 |
6. | Pakistan | 196,174,380 | 31. | Ukraine | 44,291,413 |
7. | Nigeria | 177,155,754 | 32. | Argentina | 43,024,374 |
8. | Bangladesh | 166,280,712 | 33. | Algeria | 38,813,722 |
9. | Russia | 142,470,272 | 34. | Poland | 38,346,279 |
10. | Japan | 127,103,388 | 35. | Uganda | 35,918,915 |
11. | Mexico | 120,286,655 | 36. | Sudan | 35,482,233 |
12. | Philippines | 107,668,231 | 37. | Canada | 34,834,841 |
13. | Ethiopia | 96,633,458 | 38. | Morocco | 32,987,206 |
14. | Vietnam | 93,421,835 | 39. | Iraq | 32,585,692 |
15. | Egypt | 86,895,099 | 40. | Afghanistan | 31,822,848 |
16. | Turkey | 81,619,392 | 41. | Nepal | 30,986,975 |
17. | Germany | 80,996,685 | 42. | Peru | 30,147,935 |
18. | Iran | 80,840,713 | 43. | Malaysia | 30,073,353 |
19. | Congo, Dem. Rep. | 77,433,744 | 44. | Uzbekistan | 28,929,716 |
20. | Thailand | 67,741,401 | 45. | Venezuela | 28,868,486 |
21. | France | 66,259,012 | 46. | Saudi Arabia | 27,345,986 |
22. | United Kingdom | 63,742,977 | 47. | Yemen | 26,052,966 |
23. | Italy | 61,680,122 | 48. | Ghana | 25,199,609 |
24. | Burma | 55,746,253 | 49. | Korea, North | 24,851,627 |
25. | Tanzania | 49,639,138 | 50. | Mozambique | 24,692,144 |
जनसंख्या का महाद्वीपीय वितरण Distribution of Population In The Continents
एशिया में जनसंख्या का घनत्व एवं वितरण
विश्व की लगभग 67% जनसंख्या एशिया महाद्वीप में निवास करती है, अतः मानव समुदायों की दृष्टि से एशिया का स्थान बड़ा महत्वपूर्ण है! यहाँ अनेक जाते हैं। जनसंख्या के इस वितरण को कुञ्ज प्रतिरूप (Clustered Pattern) कहा जा सकता है। यहाँ अपेक्षित थोड़ी ही भूमि पर अधिकाँशतः मानवसमुदाय बसे हैं, जबकि अनेक क्षेत्रों में जनसंख्या प्रायः नगण्य ही है।
एशिया की घनी जनसंख्या का एकमात्र कारण मानसूनी जलवायु है। घनी जनसंख्या का निवास प्रायः 10° और 40° उत्तरी अक्षांशों के बीच में है, जिसके बाद ही जनसंख्या में न्यूनता जाती है। जिन अक्षांशों से एशिया में जनसँख्या की कमी आरम्भ होती है, ठीक उसके विपरीत यूरोप में उन्हीं अक्षांशों से यह बढ़ना प्रारंभ करती है। यहाँ घनी जनसँख्या के सघन केंद्र घीरे-घीरे एक दूसरे की ओर बढ़ते हैं और अंत में मिल जाते हैं। इसका कारण पर्याप्त धूप, अधिक नदियाँ और अधिक वर्षा व् सिंचाई सुविधा होना है, जो भूमि की उर्वरा शक्ति में वृद्धि करते हैं। दक्षिण-पूर्वी एशिया में साधारण नदियों द्वारा निर्मित समतल मैदान अधिक पाए जाते हैं। इन्हीं मैदानों की ओर ही किसान स्वाभाविकतया अधिक आकर्षित हुए है, क्योंकि इनमे उपजाऊ मिट्टी, साधारण ढाल और प्रचुर जल की सुलभता चावल की दो फसली खेती के लिए विशेष रूप से उपयोगी है। नदियों की घाटियों में इसीलिए घनी जनसंख्या पायी जाती है। यहाँ का घनत्व 250 से 1,000 व्यक्ति प्रति वर्ग किमी पाया जाता है। इसके विपरीत, साइबेरिया, तुर्किस्तान और तिब्बत के अधिकतर भागों में जनसंख्या कम है, क्योंकि इन भीतरी भागों में वर्षा की मात्रा अत्यन्त कम है, यातायात के साधनों का अभाव है तथा गर्मियों में अत्यन्त गर्मी और शीतकाल में अत्यधिक सर्दी पड़ती है। यहां का घनत्व 5 व्यक्ति प्रति वर्ग किलोमीटर तक है। चीन व भारत के पश्चिमी एवं पर्वतीय भागों का घनत्व 25 से 100 व्यक्ति प्रतिवर्ग किलोमीटर रहता है। पर्वतीय हिमालय का घनत्व 15 व्यक्ति प्रतिवर्ग किलोमीटर से भी कम है।
यूरोप में जनसंख्या का घनत्व एवं वितरण
यूरोप में जनसंख्या का जमाव मुख्यत: 40° और 60° उत्तरी अक्षांशों के बीच पाया जाता है 60° उतरी अक्षांशों के उत्तर में जनसंख्या बहुत ही विखरी हुई मिलती है। केवल नावें, स्वीडेन और फिनलैण्ड के समुद्रतटीय भाग इसके अपवादस्वरूप हैं। यूरोप की 23% जनसंख्या का एक ठोस क्षेत्र 45° से 55° अक्षांशों के मध्य-पूर्व पश्चिम दिशा में विस्तृत है। इसे जनसँख्या की धुरी क्षेत्र भी कहा जाता है। यहाँ सर्वत्र ऊंचा घनत्व मिलता इसमें इंग्लैण्ड, , बेल्जियम, जर्मनी, पोलैण्ड, नीदरलैण्ड, डेनमार्क, आदि देश हैं। यहाँ का जन घनत्व 500 व्यक्ति प्रति वर्ग किलोमीटर से भी अधिक रहता है। यूरोप के इन भागों में जनसंख्या के इस समूहीकरण के ये कारण हैं-
- भूमि का गहन उपयोग
- मिश्रित खेती का प्रयोग
- खेती के उन्नत वैज्ञानिक तरीकों का प्रयोग
- गेहूं, तथा शाकसब्जियों की प्रचुर पैदावार होना
- औद्योगिक विकास
यूरोप की जनसंख्या के मानचित्र को देखने से यह स्पष्ट होता है कि दक्षिण-पूर्वी भाग को छोड़कर घनी जनसंख्या के प्रदेश औद्योगिक क्षेत्र भी हैं। यहाँ संचार व परिवहन तन्त्र का सर्वत्र विकास उन्नत विधि से हुआ है। यहाँ औद्योगिक ईंधन की प्रचुरता, खनिज पदार्थों का बाहुल्य तथा अनुकूल जलवायु सम्बन्धी दशाओं के कारण जनसंख्या का अधिक जमाव हुआ है।
उत्तर-पश्चिमी यूरीप में जनसंख्या के अनेक केन्द्र पाए जाते हैं। यद्यपि दक्षिण-पूर्वी एशिया की भाँति यहाँ घनी जनसंख्या तथा बिखरी जनसंख्या के क्षेत्रों के बीच में गहरी खाइयाँ नहीं हैं, किन्तु ब्रिटेन में इसके अनेक उदाहरण मिलते हैं जहाँ केवल 8% व्यक्ति खेती करते हैं और 80% नगरों में रहते हैं। सुदूर उत्तरी भागों का घनत्व 10 व्यक्ति प्रति वर्ग किलोमीटर से भी कम है। इनमें नार्वे, स्वीडेन, फिनलैण्ड एवं उत्तरी यूरोपीय रूस सम्मिलित हैं।
रूस की जनसंख्या का अधिकांश भाग यूराल के पश्चिम में निवास करता है। सबसे अधिक लेनिनग्राड-स्वर्डलोवस्क, मैगनीटोगोस्क-रोस्टोव, बाकू-बाटूम और ओडेसा के बीच के भाग में पाया जाता है, यहाँ सम्पूर्ण रूस व यूक्रेन की 75% जनसंख्या रहती है। अधिक जनसंख्या उत्तरी अक्षांश के दक्षिण और बोल्गा के पश्चिम में पायी जाती है। यहां का घनत्व 50 व्यक्ति प्रति वर्ग किलोमीटर से अधिक है, जहाँ सबसे अधिक नगर पाए जाते हैं। साइबेरिया के कम घनत्व वाले भाग में ओमस्क-इकुंटस्क तथा मध्य एशिया के सिंचित क्षेत्र में घनत्व प्रति वर्ग किलोमीटर 15 व्यक्तियों का है।
उत्तरी अमरीका में जनसंख्या का घनत्व एवं वितरण
उत्तरी अमरीका की लगभग 60% जनसंख्या झील क्षेत्र एवं अटलाण्टिक तट पर अर्थात् पूर्वी व मध्य पूर्वी भाग में बसी है। यहाँ का घनत्व 100 से 250 व्यक्ति प्रति वर्ग किलोमीटर है। 85 प्रतिशत आबादी बड़े कस्बों व नगरों में बसी है। इस महाद्वीप के संयुक्त राज्य में जनसंख्या के विचार से दो भाग स्पष्ट हैं। एक संयुक्त राज्य का पूर्वी तटीय भाग और दूसरा संयुक्त राज्य का 100° प. देशान्तर से पश्चिमी भाग पहले में औद्योगिक दृष्टि से चरम विकास हो जाने के कारण जनसंख्या अधिक घनी है, लेकिन दूसरे भाग में यह काफी कम है। भीतरी भाग में धरातल ऊबड़खाबड़ है और वर्षा भी कम होती है। यहाँ का घनत्व 5 से 10 व्यक्ति प्रति वर्ग किलोमीटर ही है। संयुक्त राज्य एवं कनाडा की 85 प्रतिशत जनसंख्या 100° प. देशान्तर के पूर्व में रहती है। पूर्वी भाग में जनसंख्या का समान घनत्व है। केवल ओहियो के उत्तर और मिसीसिपी के पूर्व में कुछ औसत से अधिक जनसंख्या वाले केन्द्र पाए जाते हैं। दक्षिण में मेरीलैण्ड तक की अत्यन्त विकसित औद्योगिक पेटी पर अधिकतम घनत्व 250 व्यक्ति प्रतिवर्ग किलोमीटर से भी अधिक की पेटी फैली है। अपेलेशियन के पश्चिम की ओर घनी जनसंख्या के चार केन्द्र पाए जाते हैं-
- मिशीगन झील दक्षिणी सिरे और पश्चिमी तट का क्षेत्र जिसमें शिकागो और मिलवाकी शामिल हैं।
- ईरी झील का दक्षिणी और पश्चिमी सिरे का क्षेत्र जिसमें डिट्रायट, क्लीवलैण्ड, टोलडो, बफैलो और आफ्नोन शामिल हैं।
- ओण्टेरियो झील का दक्षिणी सिरा और मोहाक घाटी के क्षेत्र जिसमे राचेस्टर, साईराक्युज और रोनेकटीडी शामिल हैं।
- ओहियो की उपरी घाटी जिसमेपिट्सबर्ग मुख्य केंद्र है।
दक्षिण अमरीका में जनसंख्या का वितरण Distribution Of Population In South America
दक्षिणी अमरीका की जनसंख्या का आधे से अधिक भाग अकेले ब्राजील में रहता है, 1/6 भाग अर्जेण्टाइना में और 1/3 भाग एण्डीज पर्वत के देशों में। यहां की अधिकतर जनसंख्या तटीय भागों में ही पाई जाती है जहां महासागरों द्वारा यातायात अत्यन्त सुगम है और विदेशों से सम्पर्क रखा जा सकता है। ऐसे क्षेत्र ब्राजील के साओपोलो और सेण्टोस तथा अर्जेण्टाइना और वेनेजुएला के तटीय भाग हैं। मध्यवर्ती अक्षांशों में अर्जेण्टाइना और युरूग्वे में लाप्लाटा नदी के मैदान में कृषि की सुविधाओं के कारण जनसंख्या अधिक मिलती हैI उत्तर-पूर्वी ब्राजील में उष्णार्द्र खेती के अन्तर्गत कहवा और कपास पैदा किए जाने से जनसंख्या अधिक सघन मिलती है।
अन्यत्र जनसंख्या मुख्यत: ऊंचे भागों में ही मिलती है, जहां की जलवायु निम्न प्रदेशों की अपेक्षा अधिक स्वास्थ्यप्रद है और जहां तांबा, चांदी, शोरा, आदि खनिज मिलते हैं। इक्वेडोर, पीरू, बोलीविया और कोलम्बिया में जनसंख्या 2,200 मीटर से अधिक ऊंचाई पर मिलती है। इन क्षेत्रों के विपरीत, अमेजन के जंगली और दलदली भाग, एण्डीज की ऊंचाइयां, पैटागोनिया, चिली और पेरू के मरुस्थल तथा मध्य अमरीका की मलेरिया उत्पादक जलवायु, ग्रेनचाको के गर्म दलदली और बाढ़ग्रस्त क्षेत्र तथा ब्राजील के गर्म घास के मैदान में जनसंख्या बहुत ही छितरी पाई जाती है।
जनसंख्या घनत्व की दृष्टि से दक्षिणी अमरीका के निम्न विभाग किए जाते हैं-
- अधिक जनसंख्या वाले क्षेत्र- दक्षिणी अमरीका के पूर्वी तटीय क्षेत्रों में धनी जनसंख्या पाई जाती है। इस महाद्वीप की सघन जनसंख्या कृषि क्षेत्रों, तटीय भागों, विशाल नगरों तथा राजधानियों में निवास करती है। दक्षिण-पूर्वी ब्राजील, लाप्लाटा का बेसिन, मध्य चिली, कैरेबियन तट तथा ओरिनिको नदी का डेल्टा घने बसे हुए क्षेत्र हैं।
- मध्यम जनसंख्या वाले क्षेत्र- इस महाद्वीप के उत्तर-पश्चिमी तटीय भागों में मध्यम जनसंख्या पाई जाती है। मध्यम जनसंख्या वाले क्षेत्रों के अन्तर्गत कोलम्बिया का पूर्वी तट, वेनेजुएला का उत्तरी भाग, पीरू का उत्तर-पश्चिमी तट, इक्वेडोर, बोलीविया का मध्य भाग, अर्जेण्टाइना का मध्य भाग तथा पराग्वे का मध्य क्षेत्र आते हैं।
- न्यून जनसंख्या वाले क्षेत्र- दक्षिणी अमरीका के पर्वतीय क्षेत्रों, मरुस्थलों, अविकसित क्षेत्रों तथा दलदली भागों में कम जनसंख्या निवास करती है। पैटागोनिया के शुष्क मरुस्थल, अटाकामा के मरुस्थल, एण्डीज पर्वत तथा बोलीविया के उच्च शिखर पर बिरल जनसंख्या पाई जाती है। दक्षिण अमरीका का 40% भाग कम जनसंख्या वाला क्षेत्र है।
अफ्रीका में जनसंख्या घनत्व एवं वितरण
अफ्रीका में सबसे घनी जनसंख्या नील नदी की घाटी, भूमध्यसागरीय तट, कीनिया एवं अबीसीनिया के पठार, पश्चिमी सूडान, गिनी तट पर एवं सुदूर दक्षिण में दक्षिणी अफ्रीका संघ के पूर्वी व दक्षिणी पूर्व तटीय भाग में मिलती है। सबसे अधिक घनत्व नील की निचली घाटी व डेल्टा एवं दक्षिणी नाइजीरिया में 500 व्यक्ति प्रति वर्ग किलोमीटर से भी अधिक मिलता है। शेष घने आवाद उपर्युक्त प्रदेशों का घनत्व 50 से 150 व्यक्ति प्रति वर्ग किलोमीटर के मध्य पाया जाता है। अन्यत्र जनसंख्या बहुत कम है, क्योंकि अधिकांशतः भूमि मरुस्थली तथा कृषि के अयोग्य है। सहारा मरुस्थल अफ्रीका के 20 प्रतिशत भाग को तथा कालाहारी मरुस्थल 10 प्रतिशत भाग को घेरे हैं। शेष भागों में विषुवत रेखीय वन मिलते हैं जिनमें सी-सी मक्खियों, अस्वास्थ्यकर जलवायु तथा जंगली पशुओं के कारण बहुत कम जनसंख्या मिलती है। यहाँ का घनत्व 5 से 10 व्यक्ति प्रति वर्ग किलोमीटर है। सहारा व भीतरी कालाहारी प्रायः जन शून्य है। सर्वाधिक जनसंख्या वाले अफ्रीका के देश नाइजीरिया मिस्त्र, दक्षिणी अफ्रीका संघ, इथियोपिया, कीनिया, तंजानिया एवं सूडान हैं।
आस्ट्रेलिया में जनसंख्या का घनत्व एवं वितरण
आस्ट्रेलिया में जनसंख्या अन्य महाद्वीपों की अपेक्षा बहुत कम है। यहाँ विश्व की केवल 1% जनसंख्या निवास करती है। मुख्यतः पूर्वी तटीय प्रदेशों में ही केन्द्रित पायी जाती है, विशेषतः दक्षिण-पश्चिमी कोने और दक्षिण-पूर्वी व पूर्वी किनारों पर जहाँ जलवायु अधिक समशीतोष्ण है। यहाँ जनसंख्या के पाँच क्षेत्र मिलते हैं-
- सिडनी के पृष्ठप्रदेश के पश्चिमी ढाल
- विक्टोरिया का अधिकतर भाग
- क्वीन्सलैण्ड का दक्षिण-पूर्वी कोना
- दक्षिणी आस्ट्रेलिया का दक्षिणी भाग
- पश्चिमी आस्ट्रेलिया का दक्षिण-पश्चिमी कोना।
इसके अतिरिक्त आस्ट्रेलिया में जनसंख्या बिखरी हुई है। पश्चिमी तथा भीतरी आस्ट्रेलिया में शुष्कता के कारण जनसंख्या बहुत ही कम है। आस्ट्रेलिया का घनत्व 3.5 व्यक्ति प्रति वर्ग किलोमीटर है। मध्य के दक्षिण-पूर्वी तट का घनत्व 25 से 50 व्यक्ति तक है। ब्रिसबेन से मेलबोर्न व केनबरा के मध्य देश की आबादी बसी है। आन्तरिक व पश्चिमी भाग में 2 व्यक्ति प्रति वर्ग किलोमीटर से भी कम घनत्व है।
जनसंख्या के वितरण एवं घनत्व को प्रभावित करने वाले कारक Factors Affecting Distribution and Density of Population
जनसंख्या का वितरण अनेक तथ्यों एवं भौतिक व सांस्कृतिक कारकों द्वारा निर्धारित व प्रभावित होता है, जिनमें मुख्य निम्नलिखित हैं-
- भौगोलिक कारक, जिसमें जलवायु, जल की पूर्ति और प्राप्ति, ग्लोब पर स्थिति, मिट्टी की उर्वरा शक्ति, धरातल एवं प्राकृतिक संसाधन, आदि सम्मिलित किए जाते हैं।
- सांस्कृतिक तथा अभौगोलिक घटक, जिनके अन्तर्गत मानव की आर्थिक क्रियाएँ, संसाधनों का बढ़ता व सार्थक उपयोग, मानवीय समाज व्यवस्था, सरकार की आवास-प्रवास नीति, जनसंख्या सम्वन्धी नीति, सुरक्षा व्यवस्था, सामाजिक मान्यताएँ एवं प्रथाएँ, आदि सम्मिलित हैं।
इन दोनों ही कारकों के मध्य सम्मिलित रूप से जटिल प्रतिक्रियाएँ होती हैं जो जनसंख्या के वितरण प्रारूप पर निरन्तर प्रभाव डालती हैं।
जलवायु Climate
जनसंख्या के वितरण पर जलवायु का महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ता है। मनुष्य उन्हीं भागों में रहना पसन्द करता है, जहाँ की जलवायु उसके स्वास्थ्य तथा उद्योग के लिए अनुकूल होती है। यही कारण है कि सबसे पहले मानव का विकास कर्क रेखा और 40° उत्तरी अक्षांशों के बीच के भागों में हुआ जो न तो अधिक गरम ही हैं और नहीं अधिक ठण्डे ही, जहाँ न अधिक वर्षा ही होती है और न ही सूखा ही पड़ता है तथा कार्य करने के लिए तापमान सदैव ही उपयुक्त रहा करता है। किन्तु, इसके विपरीत उष्ण कटिबन्धीय वनों (अमेजन अथवा काँगो नदी के बेसिनों, आदि) में तीव्र गर्मी और सदा वर्षा होने के कारण प्रति वर्ग किमी में 5 से भी कम मनुष्य निवास करते हैं। आर्कटिक अथवा एण्टार्कटिक महाद्वीप में तो बर्फीली जलवायु के कारण प्रति वर्ग किमी में 1 से भी कम मनुष्य रहते हैं।
भौतिक स्वरूप या धरातल Physical Form or surface
धरातल या भौतिक स्वरूप का भी जनसंख्या के वितरण पर बड़ा प्रभाव पड़ता है। यह बात इसी से सिद्ध हो जाती है कि सम्पूर्ण विश्व की जनसंख्या का 10 भाग ही उच्च पर्वतीय व पठारी भागों में निवास करता है। मैदानों में जीवन निर्वाह की सुविधाएँ सबसे अधिक पायी जाती हैं। यहाँ आवागमन के मार्गों की सुगमता और सघन कृषि, पशुपालन अथवा औद्योगिक सुविधाओं के कारण मैदानों में जनसंख्या का जमाव धना होता है। यही कारण है कि प्राचीनकाल से ही नदियों के मैदानों में जनसंख्या अधिक पायी जाती है। विश्व की 90 प्रतिशत जनसंख्या मैदानों के उपजाऊ भागों में बसी है एवं सभी बड़े-बड़े नगर, औद्योगिक और व्यापारिक केन्द्र, जो वास्तव में घनी जनसंख्या के जमाव हैं, मैदानों में स्थित हैं।
भूमि की उर्वरा शक्ति और जीवन–निर्वाह के साधनों की सुविधा Facility of Land Fertility and Means of Life Subsistance
- कृषि Agriculture– भूमि की उर्वरा शक्ति भी किसी स्थान विशेष पर जनसंख्या को आकर्षित करती है। जिन भागों में भूमि उपजाऊ होती है वहाँ मनुष्य सघन कृषि एवं विकसित पशुपालन करके अपना जीवन-निर्वाह करते हैं। कृषि के द्वारा थोड़े ही परिश्रम से सफलतापूर्वक जीवन-निर्वाह हो सकता है। खेती के लिए उपजाऊ भूमि, यथेष्ट जल और गर्मी की आवश्यकता होती है। जिन प्रदेशों में ये तीनों ही बातें पायी जाती हैं वहाँ विकसित, बागात व सघन कृषि की जाती है। परिणामतः वहाँ जनसंख्या का जमाव बहुत अधिक होता है। यही कारण है कि मानसूनी जलवायु के कारण दक्षिण-पूर्वी एशिया में जनसंख्या का घनत्व बहुत ही अधिक पाया जाता है।
- आखेट तथा लकड़ी काटना Hunting and Lumbering- खेती के अतिरिक्त अपने भरणपोषण के लिए अन्य प्राथमिक व्यवसाय जैसे लकड़ी चीरने, पशु चराने अथवा शिकार करने में जो लोग लगे रहते हैं उनकी जनसंख्या का घनत्व काफी कम होता है, वनों में प्रति वर्ग किलोमीटर जनसंख्या बहुत कम होती है, क्योंकि वहाँ शिकार के साधन सीमित होते जाते हैं, फिर उसे भरण पोषण हेतु बारबार इधरउधर घूमना पड़ता है। अफ्रीका के जंगली भाग तथा टुण्ड्रा प्रदेश इसके उत्कृष्ट उदाहरण हैं।
- पशुपालन Animal Rearing- घास के मैदानों जहाँ पशुचारण की सुविधाएँ हैं जनसंख्या का सामान्य घनत्व मिलता है। जबकि वनस्पति विहीन मरुस्थलीय प्रदेश तथा भूमध्य रेखीय घने जंगल पशुपालन के लिए प्रतिकूल हैं अतः वहाँ का घनत्व 2 से 5 व्यक्ति प्रति वर्ग किलोमीटर ही है।
- खानें खोदना एवं उयोग Mining and Industries- जिन क्षेत्रों में पर्याप्त मात्रा में खनिज और शक्ति के संसाधन मिलते हैं वहाँ उद्योगों की स्थापना से जनसंख्या सघन मिलती है। जैसेसंयुक्त राज्य अमरीका का झील प्रदेश, जापान, ब्रिटेन, जर्मनी, भारत का छोटा नागपुर पठार, आदि
आवागमन एवं संचार के साधनों की सुविधा Facility of Means of Transport and Communication
जनसंख्या के वितरण व घनत्व पर परिवहन की सुविधाओं का भी प्रभाव पड़ता है। मानव को प्रसार और समागम के लिए अच्छे मागों की आवश्यकता होती है। विश्व के अनेक क्षेत्र आर्थिक संसाधनों में धनी होते हुए भी परिवहन के मार्गे के अभाव में प्रायः जन शून्य होते हैं विश्व के पहाड़ी प्रदेश, वन क्षेत्र, साइबेरिया का दक्षिणी भाग, आस्ट्रेलिया का मध्यवर्ती मैदान इस कारण भी कम घने बसे हैं, जबकि विश्व के सभी बड़े नगर, औद्योगिक व सधन कृषि की प्रदेशव्यापी मण्डियाँ एवं बन्दरगाह उन्नत मार्गों के केन्द्रों पर होने के कारण घने बसे हैं।
सामाजिक कारण Social Factors
मानव का सामाजिक एवं धार्मिक दृष्टिकोण भी किसी स्थान पर जनसंख्या को केद्रित करने अथवा बिखरने में बड़ा प्रभावी हाथ होता है। पूर्वी एशियाई देशों में संयुक्त परिवार प्रणाली की प्रथा होने से अनेक परिवार एक साथ मिलकर एक ही स्थान पर रहते हैं। चीन में खेतों में पूर्वजों की कब्रे होने से चीनी लोग वहीं रहते हैं और कृषि क्षेत्र अन्य क्षेत्रों की तुलना में अधिक घने बसे होते हैं। सुरक्षा, राजनीतिक स्थिरता, शासन व्यवस्था, आदि कारक भी जनसंख्या के वितरण को प्रभावित करते हैं।
जनसँख्या का घनत्व Density of Population
जनसंख्या का घनत्व एक ऐसा सूचकांक है जिसके द्वारा मनुष्य और भूमि के निरन्तर परिवर्तनशील सम्बन्ध की सूचना मिलती है। यह जनसंख्या वसाव की दर होती है जो कि निम्नलिखित प्रकार का होता है-
गणितीय घनत्व- किसी प्रदेश के क्षेत्रफल तथा वहाँ निवास करने वाली जनसंख्या का अनुपात गणितीय घनत्व कहलाता है। जनसंख्या में क्षेत्रफल से भाग देने पर प्रति वर्ग किलोमीटर घनत्व प्राप्त हो जाता है।
गणितीय घनत्व = कुल जनसँख्या / क्षेत्रफल
आर्थिक घनत्व- प्रदेश के आर्थिक संसाधनों की क्षमता तथा वहाँ के सम्पूर्ण जनसंख्या अनुपात को आर्थिक घनत्व कहते हैं।
आर्थिक घनत्व = कुल आर्थिक संसाधन (मुद्रा में) / जनसख्या
कृषि क्षेत्रीय घनत्व- किसी क्षेत्र की कृषिगत भूमि तथा सम्पूर्ण जनसंख्या का अनुपात कृषि क्षेत्रीय धनत्व होता है।
कृषि क्षेत्रीय घनत्व = कुल कृषिगत भूमि / जनसँख्या
कृषि घनत्व- प्रदेश की कृषित भूमि के क्षेत्रफल तथा वहाँ कृषिकार्य में लगी जनसंख्या के अनुपात से यह घनत्व निकाला जाता है।
कृषि घनत्व = कृषिगत भूमि / जनसँख्या
सामान्यतः भूगोल में गणितीय घनत्व ही उपयोग में लाया जाता है।
जनसंख्या घनत्व क्षेत्र Areas of Population Density
जनसंख्या के घनत्व की दृष्टि से विश्व को निम्न स्पष्ट भागों में बाँटा जा सकता है-
- अधिक घने बसे क्षेत्र- जिनका घनत्व प्रति वर्ग किलोमीटर पीछे 400 व्यक्तियों का है। यह भाग एशिया में गंगा, सतलज, सिन्धु, ब्रह्मपुत्र, यांगटिसीक्यांग, मीनाम, मीकांग, सीक्यांग नदियों की घाटियाँ, जापान की औद्योगिक पेटी अफ्रीका में नील की घाटी और डेल्टा प्रदेश यूरोप में पश्चिमी यूरोप की औद्योगिक पेटी जो फ्रांस, बेल्जियम, नीदरलैण्ड्स, डेनमार्क और जर्मनी होती हुई दक्षिणी रूस तक फैली है तथा उत्तरी अमेरिका में उत्तर – पूर्वी क्षेत्र। इन भागों में कृषि तथा उद्योगों के अत्यधिक विकास के कारण जनसँख्या का घनत्व 500 व्यक्ति प्रतिवर्ग किलोमीटर है।
- घने बसे क्षेत्र- जिनका घनत्व 200 से 400 व्यक्ति प्रतिवर्ग किलोमीटर का है। इस भाग में भारत, यूरोप और चीन के कृषि प्रधान क्षेत्र हैं जिनके बीच-बीच में औद्योगिक क्षेत्रों की पेटियाँ मिलती हैं, अतः कई भागों में स्थानीय घनत्व 250 से 400 व्यक्ति प्रतिवर्ग किलोमीटर से भी अधिक का हो जाता है। उपयुक्त जलवायु, पर्याप्त जल-वृष्टि तथा उपजाऊ भूमि के कारण घनत्व अधिक मिलता है।
- मध्यम घनत्व वाले क्षेत्र– जिनमें प्रति वर्ग किलोमीटर 50 से 250 व्यक्ति तक पाए जाते हैं। ऐसे भागों में मिसीसिपी नदी का मैदान और उसके संलग्न उत्तरी पूर्वी क्षेत्र, अधिकांश पूर्वी यूरोप के देश, मुख्य चीन के उत्तर-पश्चिमी तथा हिन्दचीन के पूर्वी और भारत के उत्तर-पश्चिमी भाग विशेष रूप से सम्मिलित किए जाते हैं। इनमें वर्षा की मात्रा कम होने पर सिंचाई की जाती है और उपयुक्त क्षेत्रों में खेती की जाती है।
- कम घनत्व वाले क्षेत्र- जिनका प्रति वर्ग किलोमीटर घनत्व 5 से 50 का होता है, जिन क्षेत्रों में घास के मैदान पाए जाते हैं, वहाँ पशुपालन अथवा उपयुक्त अवस्थाओं में सिंचाई के सहारे कृषि की जाती है। एशिया और अमरीका के विस्तृत घास के मैदानी प्रदेश इसी प्रकार के हैं।
- जनविहीन क्षेत्र- अत्यधिक ठण्डे भाग ध्रुवीय और उपधुवीय क्षेत्र, मरुस्थल एवं कम वर्षा वाले क्षेत्र, उच्च पर्वतीय भाग तथा भूमध्यरेखीय वन प्रदेश प्रायः जनशून्य हैं।
जनसंख्या संरचना Population Structure
जनसँख्या की आयु संरचना Age Structure of Population
किसी भी देश में कार्यशील जनसंख्या ज्ञात करने के लिए उस देश की जनसंख्या की आयु संरचना का अध्ययन आवश्यक होता है। इससे जनसंख्या के बढ़ने और घटने, कार्यशील व्यक्तियों की संख्या में कमी अथवा बढ़ोत्तरी का आभास हो जाता है। यद्यपि कुछ पश्चिमी देशों को छोड़कर अधिकांश देशों में आयु सम्वन्धी आँकड़े विश्वसनीय नहीं होते हैं।
विश्व के विकसित एवं विकासशील देशों में आयु समूह जनसँख्या का वितरण अनुमानित
आयु वर्ग | आश्रितों का अनुपात | |||||
0-14 | 15-65 | 65 से ऊपर | बच्चे | वृद्ध | योग | |
विकासशील देश | 40.8 | 55.4 | 3.8 | 73.6 | 6.9 | 80.5 |
विकसित देश | 26.7 | 63.7 | 9.6 | 41.9 | 15.1 | 57.0 |
उपर्युक्त सारणी से स्पष्ट है कि विकसित देशों में 15 वर्ष से कम आयु के बच्चों का प्रतिशत कुल जनसंख्या में 27 प्रतिशत से कम पाया जाता है, जबकि विकासशील देशों में यह प्रतिशत 41 है। अत: निकट भविष्य में विकासशील देशों में जनसंख्या वृद्धि दर विकसित देशों से ऊँची बनी रहेगी।
प्रमुख विकसित देशों में जनसंख्या आयु संरचना, 2001
देश | आयु समूह | ||||
0-4 | 5-14 | 15-24 | 25-64 | 65 से ऊपर | |
सं. राज्य अमरीका | 6.9 | 14.6 | 13.6 | 52.1 | 12.8 |
ग्रेट ब्रिटेन | 6.2 | 13.1 | 12.2 | 52.8 | 15.7 |
जापान | 4.8 | 10.4 | 13.6 | 55.2 | 16.0 |
फ़्रांस | 6.0 | 12.8 | 13.2 | 52.1 | 15.8 |
जर्मनी | 4.6 | 11.0 | 10.8 | 57.7 | 15.9 |
स्वीडन | 5.9 | 12.8 | 11.8 | 52.1 | 17.4 |
इटली | 4.6 | 9.8 | 12.6 | 55.4 | 17.6 |
आस्ट्रेलिया | 6.9 | 14.3 | 11.7 | 52.4 | 12.4 |
प्रमुख विकासशील देशों में जनसँख्या आयु संरचना, 2001
देश | आयु समूह | ||||
0-4 | 5-14 | 15-24 | 25-64 | 65 से ऊपर | |
पाकिस्तान | 15.2 | 26.6 | 19.5 | 34.7 | 4.0 |
भारत | 12.0 | 22.5 | 19.3 | 41.6 | 4.6 |
ब्राजील | 10.1 | 20.1 | 20.2 | 44.6 | 5.1 |
चीन | 7.9 | 17.9 | 16.2 | 51.4 | 6.6 |
कीनिया | 14.8 | 28.8 | 23.4 | 30.3 | 2.7 |
श्रीलंका | 9.0 | 18.6 | 19.1 | 47.0 | 6.3 |
वस्तुत: आयु समूह की दृष्टि से जनसंख्या वितरण के दो महत्वपूर्ण तथ्य हैं-
- सामान्यतः विकासशील देशों में युवा जनसंख्या और विकसित देशों में प्रौढ़ों व वृद्धों की जनसंख्या अधिक पायी जाती है।
- जिन देशों को आज विकसित कहा जाता है, उनमें भी पूर्व औद्योगिक अवस्था में युवा जनसंख्या का आधिक्य था, किन्तु औद्योगिक विकास के उत्कृष्ट काल में अब इसमें परिवर्तन गया है और वृद्ध जनसंख्या का प्रतिशत पूर्व की अपेक्षा बढ़ गया है। ऐसी स्थिति को Aging of Population कहा जाता है। यह स्थिति संयुक्त राज्य अमरीका, कनाडा, ग्रेट ब्रिटेन, फ्रांस, नीदरलैण्ड, स्वीडन, आस्ट्रेलिया, न्यूजीलैण्ड और आस्ट्रिया में पायी जाती है। अतः अब वहाँ वास्तविक जनसंख्या वृद्धि दर तेजी से घटती जा रही है।
किसी भी देश की जनसंख्या ‘युवा’ अथवा ‘वृद्ध’ है यह इस बात पर निर्भर करता है कि उँस देश में स्त्रियों की प्रजननता कैसी है। जब प्रसवन अधिक होता है तो जन्म दर ऊँची होती है, अतः जनसंख्या युवा होती है। जब प्रसवन कम होता है, तो जन्म दर कम होने के कारण कम बच्चों का जन्म होता है, जनसंख्या में वृद्धों की संख्या अधिक होती है। विकासशील देशों में स्त्रियाँ 15 से 18 वर्ष के मध्य एवं विकसित देशों में 21 से 28 वर्ष की आयु के मध्य सामान्यतः विवाहित होती हैं। अतः इस कारण भी उनकी प्रसवन एवं प्रजनन क्षमता (विकसित देशों में) कम रहती है।
आयु संरचना के प्रभाव Effects of Age Structure
असन्तुलित आयु संरचना के कारण किसी देश की आर्थिक व्यवस्था पर बड़ा प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है-
- जिन देशों में जनसंख्या तीव्र गति से बढ़ रही है, उनमें बच्चों की संख्या अधिक होती है। यदि इनमें आर्थिक विकास भलीभाँति होता रहे तो यह ऊँचा प्रतिशत एक प्रकार से लाभदायक भी होता है, क्योंकि वस्तुओं का उत्पादन अधिक होने के साथसाथ श्रमिकों की संख्या भी बढ़ती है किन्तु यदि आर्थिक दृष्टि से ये देश स्थिर होते हैं, तो यह भारस्वरूप हो जाता है जैसा कि भारत, मैक्सिको, ब्राजील अथवा फिलीपीन में देखने में आता है। इन देशों में 15 वर्ष कम आयु के बच्चों का प्रतिशत 40 है, अधिक विकसित देशों में वृद्धों का प्रतिशत अधिक होने से भी वह भारस्वरूप हो जाता है।
- विकासशील देशों में बच्चों का प्रतिशत अधिक होने से राष्ट्रीय आय और उत्पादक वर्ग पर निरन्तर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। यह प्रतिशत कुल जनसंख्या की श्रम शक्ति को कम करता है जिसके फलस्वरूप प्रति व्यक्ति उत्पादन और प्रति व्यक्ति आय भी कम होती है। एक अनुमान के अनुसार संयुक्त राज्य अमरीका में बच्चों का लगभग 70 प्रतिशत 60 वर्ष तक जीवित रहकर 40 वर्षों तक वस्तुओं सेवाओं के निर्माण में योगदान देता है, जबकि भारत में 15 प्रतिशत बच्चे ही 60 वर्ष तक जीवित रहते हैं। दूसरे शब्दों में, विकसित राष्ट्र की जनसंख्या अपने ऊपर हुए राष्ट्रीय विनियोग के प्रतिफल में राष्ट्र को अपनी सेवाएँ देती हैं, जबकि विकासशील देशों में 15 से 64 आयु वर्ग का प्रतिशत कम होने से आर्थिक विकास में कमी रहती है।
- विकासशील देशों में प्रत्याशित आयु विकसित देशों की तुलना में भी कम होती है। संयुक्त राज्य अमरीका में यह 76.1 वर्ष, कनाडा में 79.2 वर्ष, ग्रेट ब्रिटेन में 77.2 वर्ष, फ्रांस में 78.5 वर्ष, जापान में 80.0 वर्ष, जबकि विकासशील देशों में यह आयु कम होती है। भारत में 65 वर्ष, पाकिस्तान में 59.1 वर्ष, बांग्लादेश में 56.7 वर्ष और इण्डोनेशिया में 62.5 वर्ष है।
विकासशील देशों में अल्प आयु में बच्चों की मृत्यु दर ऊँची रहती है। भारत में 108, पाकिस्तान में 136, मिस्र में 73 प्रति हजार है, जबकि विकसित देशों में यह बहुत कम है। संयुक्त राज्य अमरीका में 8, फ्रांस में 5, स्वीडन में 4 प्रति हजार है।
नगरीय जनसँख्या Urban population
विश्व के सर्वाधिक विकसित देशों में नगरीय जनसंख्या का प्रतिशत 76 प्रतिशत है, जबकि कम विकासशील देशों में यह प्रतिशत 41 तक है व् अर्द्ध विकसित देशों में मात्र 26% है।
विश्व में नगरीय जनसंख्या का वितरण 2001
विकसित देश | कुल जनसँख्या का प्रतिशत | विकासशील देश | कुल जनसँख्या का प्रतिशत |
ग्रेट ब्रिटेन | 89.5 | ब्राजील | 81.7 |
जर्मनी | 87.7 | इंडोनेशिया | 42.0 |
आस्ट्रेलिया | 91.1 | पाकिस्तान | 33.4 |
स्वीडन | 83.3 | कीनिया | 34.3 |
कनाडा | 79.7 | चीन | 36.1 |
संयुक्त राज्य अमेरिका | 79.0 | भारत | 27.8 |
रूस | 72.9 | श्रीलंका | 23.1 |
फ़्रांस | 75.5 | बांग्लादेश | 23.6 |
जापान | 78.9 |
ग्रामीण जनसँख्या का वितरण 2001
महाद्वीप | ग्रामीण जनसँख्या का प्रतिशत |
एशिया | 62 |
यूरोप | 26 |
उत्तरी अमेरिका | 22 |
अफ्रीका | 62 |
जनसंख्या का लिंग अनुपात Sex Ratio of Population
सामान्यतः किसी देश में 1,000 पुरुषों के पीछे पायी जाने वाली स्त्रियों की संख्या को ही स्त्री पुरुष अनुपात कहा जाता है। 2001 की जनगणना के अनुसार भारत में प्रति 1,000 पुरुषों के पीछे 933 स्त्रियों का अनुपात है यदि लिंग अनुपात 1,000 से अधिक होता है तो ऊँचा अनुपात और यदि 1,000 से नीचा होता है तो निम्न अनुपात माना जाता है।
अधिकांश यूरोप के देशों में 1,000 पुरुषों के पीछे 1,000 से अधिक महिलाएँ हैं, जबकि दक्षिणी एशिया मे यह 900 से 950 के मध्य ही हैं। किसी देश में जनसंख्या का लिंगभेद के अनुसार विभाजन कई कारणों से महत्वपूर्ण है-
- लिंगभेद के अनुपात में अन्तर होने से ही जनसंख्या में वृद्धि और हास होता है।
- लिंगभेद में अन्तर मृत्यु दर को प्रभावित करता है।
- पुरुषों की अपेक्षा स्त्रियों की संख्या कम होती है तो विशेषतः उस देश में स्त्रियों का कम आयु में विवाह कर दिया जाता है।
लिंग अनुपात को प्रभावित करने वाले कारक Factors Affecting Sex Ratio
लिंग अनुपात विश्व वितरण प्रतिरूप यह स्पष्ट करता है कि इसमें पर्याप्त भिन्नता पाई जाती है। इस भिन्नता के लिए विभिन्न कारक उत्तरदायी हैं जिनका विवरण इस प्रकार है-
जन्मदर और लिंगानुपात Birth Rate And Sex Ratio
मानव सहित अधिकांश जीवधारियों में स्त्रियों की अपेक्षा पुरुष जन्मदर की प्रधानता होती है। विश्व के विभिन्न देशों के उदाहरण यह स्पष्ट करते हैं कि स्त्री जन्मदर की अपेक्षा पुरुष जन्मदर अधिक उच्च रही है। अनेक जैव वैज्ञानिकों का मत है कि पुरुष के Y जीवाणु स्त्री के X जीवाणु की अपेक्षा हल्के और तेज होते हैं जिससे इनका शीघ्र निषेचन हो जाता है। इसीलिए पुरुष शिशुओं की संख्या अधिक होती है।
इस सन्दर्भ में कर्ट महोदय के विचार उल्लेखनीय हैं-
- पुरुष के Y जीवाणु स्त्रियों के गर्भाशय में अधिक सुरक्षित रहते हैं जबकि स्त्रियों के X जीवाणु कम सुरक्षित रहते हैं।
- गर्भाशय में निहित अंडे X जीवाणु की अपेक्षा Y जीवाणु के लिए अधिक अनुकूल प्रतिक्रिया करते हैं।
- पुरुष के Y जीवाणु गर्भाशय में अंडे तक पहुँचने में X जीवाणु की अपेक्षा अधिक शक्तिशाली होते हैं।
- पुरुष के Y जीवाणुओं की संख्या स्त्रियों X जीवाणुओं की अपेक्षा अधिक होती है।
यद्यपि अधिकांश समाजों में स्त्रियों की अपेक्षा पुरुष शिशुओं की संख्या जन्म के समय अधिक रहती है, किन्तु प्रत्येक देश के लिए यह सत्य नहीं है। जन्मपूर्व क्षति के निम्न या उच्च होने के अनुसार ही विभिन्न देशों में लिंगानुपात जन्म के समय निम्न या उच्च रहता है।
थोम्पसन एवं लेविस के अनुसार जिन देशों में बच्चों के जन्म से पूर्व मृत्युदर निम्न है वहां जन्म के समय लिंग अनुपात की दर भी निम्न होती है अर्थात् पुरुष शिशुओं की संख्या कम होती है। इसके विपरीत जिन देशों में जन्म से पूर्व ही मृत्यु दर उच्च है, वहां जन्म के समय लिंग अनुपात की दर भी उच्च रहती है अर्थात् पुरुष शिशुओं की संख्या अधिक होगी। इस प्रकार बहुसंख्य मुस्लिम राष्ट्रों और एशियाई देशों में उच्च पुरुष जन्म दर यूरोप तथा उत्तरी अमेरिका में मध्यम तथा दक्षिणी अमेरिका में निम्न पाई जाती है।
इनके अतिरिक्त लिंग अनुपात में असन्तुलन के लिए अनेक कारक तथा पिता की उम्र, वंशानुक्रम, युद्ध, सिगरेट, पान, आदि भी उत्तरदायी है, किन्तु इनमें से कुछ को तो जब निर्मूल सिद्ध किया जा चुका है।
जनांकिकी विदों का यह भी मत है कि कम आयु में विवाह होने से पुरुष शिशुओं की संख्या अधिक तथा अधिक आयु में विवाह से स्त्री शिशुओं की संख्या अधिक होती है। इसी प्रकार मां की आयु कम होने पर प्रथम व द्वितीय क्रम वाले जन्मों में पुरुष शिशुओं की संख्या अधिक रहती है।
स्त्री-पुरुष मृत्यु-दर में भिन्नता Different Morality of the Sexes
स्त्री एवं पुरुष मृत्यु दर में भिन्नता पाई जाती है जो लिंगानुपात को प्रभावित करती है। जैविकीय दृष्टि से पुरुषों तथा स्त्रियों में विभिन्न बीमारियों की प्रतिरोघी शक्ति भिन्न-भिन्न होती है। प्राय: सभी विकसित देशों में जहां जन्मदर मध्यम से निम्न की ओर उन्मुख है। पर्याप्त औषधि सुविधाओं एवं बालिकाओं का बालकों के समान ही पालन पोषण करने के फलस्वरूप सभी आयु वर्गों में पुरुष मृत्युदर अधिक है। फ्रेंकलिन के अनुसार अनेक विकसित देश जैसे यू.एस.ए., ब्रिटेन एवं न्यूजीलैण्ड, आदि में जहां जन्मदर सामान्य से निम्न रहती है, पोषण की सुविधाएं तथा दवाएं पर्याप्त मात्रा में उपलक्ष्य हैं, जहां माताओं की मृत्यु दर निम्न है, स्त्री जाति के शिशुओं की सुरक्षा पुरुष शिशुओं के समान ही की जाती है, वहां पुरुष मृत्युदर स्त्री मृत्यु दर से उच्च है। ऐसा ही शिशुओं में भी पाया जाता है। जन्म के समय पुरुष शिशुओं की संख्या अधिक होती है, 4 वर्ष की आयु तक स्त्री-पुरुष अनुपात लगभग सन्तुलित हो जाता है, क्योंकि 4 वर्ष की आयु तक पुरुष शिशुओं की मृत्युदर स्त्री शिशुओं की मृत्यु दर से अधिक रहती है। 15 वर्ष की आयु तक जनसंख्या में लिंग अनुपात 100 से अधिक मिलता है, क्योंकि जन्म के समय उच्च लिंग अनुपात दर रहती है 15 वर्ष की आयु के वाद प्राय: सभी उन्नत देशों में लिंगानुपात उच्च होता है अर्थात् स्त्रियों की संख्या पुरुषों से अधिक होती है। विकासशील तथा अल्प विकसित देशों में पुरुषों की अपेक्षा स्त्रियों की मृत्युदर अधिक होती है। इन देशों में सामाजिक-आर्थिक व्यवस्था के निम्न स्तर तथा उनका स्त्रियों के प्रतिकूल होना स्त्री मृत्युदर का कारण है। इनके अतिरिक्त किशोरावस्था में सन्तानोत्पति भी उत्तरदायी है।
स्थानान्तरण तथा लिंग अनुपात Migration And Sex Ratio
स्थानान्तरण व्यापक रूप से यौन अनुपात को असन्तुलित करता है, क्योंकि सामाजिक रीति, अर्थव्यवस्था, आदि कारण स्थानान्तरण में लिंग अनुपात को निर्धारित करते हैं। उद्देश्य, दूरी तथा अभिप्रेरणा विशेष रूप से लिंग अनुपात स्थिति को प्रभावित करते हैं। पहले स्त्रियों की अपेक्षा पुरुषों में स्थानान्तरणशीलता अधिक रहती थी, किन्तु अब यातायात व संचार साधनों के विकसित होने से विकसित देशों में स्त्रियां भी स्थानान्तरण करने लगी हैं। विश्व के औपनिवेशिक देशों में पुरुष प्रधान प्रारम्भिक स्थानान्तरण के कारण स्त्रियों की अपेक्षा पुरुषों की अधिकता है। उन्नीसवीं शताब्दी के प्रारम्भ में संयुक्त राज्य अमरीका में पुरुष आप्रवास के कारण प्रति 100 पर 106 पुरुष थे। अब स्त्रियों के आप्रवास सरल होने के कारण स्त्रियों की अधिकता है। दक्षिणी अमरीका के ब्राजील और अर्जेण्टाइना में भी सन्तुलन की स्थिति है। इजराइल, कुवैत, हांगकांग में स्थानान्तरण के परिणामस्वरूप ही पुरुषों का बाहुल्य है। बहुसंख्य विकसित राष्ट्रों में आन्तरिक स्थानान्तरण का लिंग संरचना पर अत्यल्प प्रभाव दिखाई देता है, क्योंकि वहां स्त्रीपुरुष जीवन स्तर समान है अतः लिंग सन्तुलन बना रहता है।
विकासशील और अविकसित देशों में स्थानान्तरण में पुरुषों की ही प्रधानता रहती है। अन्तर्देशीय स्थानान्तरण में नगरों में पुरुषों की प्रधानता तथा ग्रामीण क्षेत्रों में स्त्रियों की प्रधानता रहती है।
इस प्रकार स्थानान्तरण में रोजगार की प्रकृति व अवसर, दूरी, सामाजिक-आर्थिक व्यवस्था, आदि तथ्य विभिन्न आयु वर्गों में लिंगानुपात को प्रभावित करते हैं।
ग्रामीण-नगरीय जनसंख्या की संरचना Structure Of Rural–Urban Population
ग्रामीण और नगरीय जनसंख्या में अन्तर पाया जाता है। यद्यपि औद्योगिक देशों में नगरीकरण की प्रवृति तीव्र गति से बढ़ी है फिर भी विश्व के अनेक देशों में ग्रामीण जनसंख्या का घनत्व अधिक है।
ग्रामीण-नगरीय जनसंख्या के वितरण की दृष्टि से निम्नलिखित तथ्य उल्लेखनीय हैं-
- विश्व में ग्रामीण- नगरीय जनसंख्या के वितरण में बड़ा अन्तर पाया जाता है। सम्पूर्ण विश्व की जनसंख्या का 48 प्रतिशत नगरों में निवास करता है। गाँवों का प्रतिशत 52 है। अधिक विकसित देशों में नगरीय जनसंख्या का प्रतिशत 76 और कम विकसित देशों में यह मात्र 41 है। विकासशील देश कृषि प्रधान होते हैं, अत: अधिकांश जनसंख्या गाँवों में निवास करती है और विकासशील देशों में उद्योगों के विकास के कारण नगरीय जनसंख्या अधिक पायी जाती है।
- महाद्वीपों की दृष्टि से भी ग्रामीण एवं नगरीय अन्तर पाया जाता है।
- महाद्वीपों के उपप्रदेशों में यह अन्तर और भी अधिक स्पष्ट रूप से दिखायी देता है। पूर्वी अफ्रीका के देशों में नगरीय जनसंख्या का प्रतिशत 25 है, जबकि दक्षिणी अफ्रीका में यह प्रतिशत 55 है। एशिया में जापान में यह प्रतिशत 78.9 है, जबकि चीन में यह प्रतिशत 36.1 है। दक्षिण-पूर्वी एशिया में 38 प्रतिशत है। मध्य दक्षिणी एशिया में 30 प्रतिशत जनसंख्या नगरों में निवास करती है।
- विकासशील देशों में नगरीय जनसंख्या का प्रतिशत कम मिलता है। यहाँ की 65 से 80 प्रतिशत आबादी गाँवों में बसी है।
जनसंख्या की व्यावसायिक संरचना Occupational Structure of Population
विश्व के देशों में औद्योगिक दृष्टि से उन्नत राष्ट्रों को विकसित श्रेणी के देशों के अन्तर्गत रखा जाता है, कृषिप्रधान देशों को विकासशील देशों के अन्तर्गत रखा जाता है। इन देशों में जनसंख्या की व्यावसायिक संरचना इस प्रकार से पायी जाती है-
- विकासशील देशों में व्यवसायिक संरचना occupational structure in Developing Countries– इन देशों में अधिकांश जनसंख्या ग्रामीण एवं कृषि कार्यों में लगी हुई है, औद्योगिक विकास अभी कम पाया जाता है। इन देशों में भारत, ब्राजील, मलेशिया, पाकिस्तान, चीन, बांग्लादेश और श्रीलंका मुख्य हैं, इनमें जनसंख्या की व्यावसायिक संरचना इस प्रकार है-
- भारत- इस देश में 72.72 प्रतिशत जनसंख्या ग्रामीण है तथा देश की 58.2 प्रतिशत जनसंख्या कृषि कार्यों में लगी हुई है। 2001 की जनगणना के अनुसार 40.2 करोड़ कुल श्रमिक हैं जिसमें मुख्य कर्मी 31.3 करोड़, सीमान्त कर्मी 8.9 करोड़ हैं।
- ब्राजील– ब्राजील में 50 लाख कार्यशील श्रमिक उद्योगों में लगे हैं तथा 32.41 प्रतिशत श्रमिक कृषि तथा अन्य ग्रामीण छोटे उद्योगों में लगे हैं।
- पाकिस्तान- पाकिस्तान में समस्त श्रमिक संख्या 226 लाख थी, इसमें 140 लाख अथवा 51 प्रतिशत श्रमिक कृषि उद्योग में लगे थे। 40 लाख कार्यशील श्रमिक अथवा 15 प्रतिशत उद्योगों में लगे हुए थे।
- चीन- इस देश में 11.8 करोड़ श्रमिक कृषि में लगे थे तथा 11.5 करोड़ सामाजिक सेवा तथा शेष अन्य कार्यों में लगे थे।
- बांग्लादेशदेश में आर्थिक दृष्टि से कार्यशील श्रमिकों में 80 प्रतिशत जनसंख्या कृषि में लगी हुई है। केवल 7 प्रतिशत जनसंख्या उद्योगों में लगी है।
- मलेशिया- इस देश में कुल 60.83 लाख कार्यशील श्रमिक हैं। कृषि में 19.03 लाख उद्योगों में 8.18 लाख तथा अन्य सरकारी सेवाओं में 8.35 लाख श्रमिक लगे हैं।
विकसित देशों में जनसँख्या की व्यवसायिक संरचना Occupational Structure of Population in the Developed Countries
अधिकांश विकसित देशों में उद्योगों में कार्यशील श्रमिकों की संख्या अधिक होती है और कृषि में लगे लोगों की संख्या कम पायी जाती है।
- संयुक्त राज्य अमरीका- यह विकसित राष्ट्र है जहाँ उद्योगों का विकास अधिक हुआ है। इस देश में केवल 2.9 प्रतिशत कार्यशील श्रमिक कृषि में लगे हैं। 19.1 प्रतिशत श्रमिक उद्योगों में तथा 31.3 प्रतिशत श्रमिक अन्य सेवाओं में लगे हैं।
- ग्रेट ब्रिटेन- इस देश में कुल कार्यशील श्रमिकों की संख्या 279.30 लाख है, इसमें से 7.7 प्रतिशत श्रमिक कृषि में लगे हैं तथा 58.31 लाख उद्योगों में कार्यरत हैं।
- फ्रांस- इस देश में कार्यशील श्रमिक 2,10,61 लाख हैं, इसमें से 20.10 लाख कृषि में, 18.41 लाख भवन निर्माण तथा समाज की आवश्यक सेवाओं में लगे हैं एवं 63.27 लाख उद्योगों में लगे हैं।
- जर्मनी- इस देश में 266.10 लाख कार्यशील श्रमिक हैं, इसमें से 101.70 लाख (38.2%) संख्या स्त्रियों की थी। 104.60 लाख उद्योगों में (39.3 प्रतिशत) कृषि, वानिकी तथा मत्स्य व्यवसाय में 13,70,000 (51.1%) संचार तथा यातायात में 46.77 लाख (17.5 प्रतिशत) तथा 24.30 लाख स्वरोजगार में लगे हैं।
- कनाडा- इस देश में 36 लाख कार्यशील श्रमिक हैं। उद्योगों में 20 लाख यातायात तथा संचार में, 5.93 लाख प्राथमिक उद्योगों में तथा 6.29 लाख कृषि में लगे हैं।
- डेनमार्क- इस देश की जनसंख्या का 70 प्रतिशत कृषि, पशुपालन, डेयरी, वानिकी और मत्स्य व्यवसाय में लगी है। 21 प्रतिशत उद्योगों तथा 7 प्रतिशत यातायात में लगी है।