तरल प्रवाह Flow of Fluids
धारारेखीय प्रवाह Streamline Flow
जब द्रव का प्रत्येक कण प्रवाह के दौरान उसी बिन्दु से गुजरता है जिस बिन्दु से उसके पहले वाला कण गुजरा था तो द्रव के ऐसे प्रवाह को धारारेखीय प्रवाह कहते हैं।
अविरतता का सिद्धान्त (Principle of continuity): यदि कोई असम्पीड्य (incompressible) तथा अश्यान द्रव (non-viscous liduid) अर्थात् आदर्श द्रव असमान अनुप्रस्थ परिच्छेद वाली नली में बह रहा हो तथा उसका प्रवाह धारारेखीय हो, तो नली के प्रत्येक स्थान पर उसके अनुप्रस्थ परिच्छेद के क्षेत्रफल और द्रव के प्रवाह के वेग का गुणनफल सदैव नियत रहता है। इसे अविरतता का सिद्धान्त कहते हैं।
असमान अनुप्रस्थ परिच्छेद वाली नली के किसी बिन्दु पर द्रव के प्रवाह की दर उस बिन्दु पर अनुप्रस्थ परिच्छेद के क्षेत्रफल के व्युत्क्रमानुपाती होती है। अतः जहाँ नली चौड़ी होती है, वहाँ द्रव प्रवाह का वेग कम तथा जहाँ पतली होती है, वहाँ द्रव प्रवाह का वेग अधिक होता है।
क्रांतिक वेग Critical velocity: यदि द्रव के प्रवाह का वेग एक निश्चित वेग से कम होता है, तो द्रव का प्रवाह धारारेखीय प्रवाह (streamline Flow) होता है, अर्थात् द्रव का प्रत्येक कण उसी बिन्दु से गुजरता है, जिससे उसके पहले वाला कण गुजरा था। इस निश्चित वेग को क्रांतिक वेग कहते हैं। यह वेग नियमित होता है, जिसमें किसी नियत बिन्दु पर प्रवाह की चाल व उसकी दिशा निश्चित बनी रहती है। यदि द्रव वेग क्रांतिक वेग से अधिक होता है, तो द्रव का प्रवाह धारारेखीय न रहकर विक्षुब्ध प्रवाह (Turbulent Flow) हो जाता है, अर्थात् द्रव की गति अनियमित व उसका मार्ग टेढ़ा-मेढ़ा (zig-zag) या भंवरदार (whirly) होता है। जैसे-बरसात में नदी-नालों की गति।
जब द्रव के बहने का वेग क्रांतिक वेग से कम होता है, तो उसका बहना मुख्यतया श्यानता (η) पर निर्भर करता है, और यदि द्रव के बहने का वेग क्रांतिक वेग से अधिक होता है, तो द्रव का बहना मुख्यतः उसके घनत्व पर निर्भर करता है। उदाहरण के लिए, ज्वालामुखी से निकला हुआ लावा बहुत अधिक गाढ़ा होने पर भी तेजी से बहता है, क्योंकि उसका घनत्व अपेक्षाकृत कम होता है और घनत्व ही उसके वेग को निर्धारित करता है।
बरनौली प्रमेय Bernoulli’s Theorem
जब कोई असम्पीड्य और अश्यान द्रव अर्थात् आदर्श द्रव किसी नली में धारारेखीय प्रवाह में बहता है, तो उसके मार्ग के प्रत्येक बिन्दु पर इसके एकांक आयतन या एकांक द्रव्यमान की कुल ऊर्जा (यानी दाब ऊर्जा, गतिज ऊर्जा एवं स्थितिज ऊर्जा का योग) नियत रहती है।
यह प्रमेय गैसों के प्रवाह के लिए भी सत्य है। इस प्रमेय से स्पष्ट है कि यदि तरल का दाब बढ़ता है, तो उसका वेग कम हो जाता है और यदि वेग बढ़ता है, तो दाब कम हो जाता है।
बरनौली प्रमेय के अनुप्रयोग Applications of Bernoulli’s Theorem:
(i) वेन्टुरीमीटर (Venturimeter): यह बरनौली प्रमेय पर आधारित एक ऐसी युक्ति है, जिसकी सहायता से किसी नली में द्रव के प्रवाह की दर ज्ञात की जाती है।
(ii) समुद्र में एक दिशा में एक-दूसरे के समान्तर गतिमान दो जलयानों के अधिक निकट आ जाने पर उनके बीच का स्थान संकरा होता जाता है, जिससे वहाँ के जल की जलयानों के सापेक्ष विपरीत दिशा में चाल बहुत अधिक हो जाती है, फलत: वहाँ दाब बहुत कम हो जाता है तथा जलयानों के बाहर की ओर लगने वाले अधिक दाब से उत्पन्न दाबान्तर के कारण जहाज टकरा जाते हैं।
(iii) तेज आँधी आने पर टीन की छत उड़ जाती है, क्योंकि छत के ऊपर की वायु आँधी के कारण तीव्र गति से बहती है, जिससे छत के ऊपर का दाब कम हो जाता है, जबकि छत के नीचे कमरे के अन्दर की वायुदाब में कोई परिवर्तन नहीं होता है, फलत: टिन की छतें उड़कर दूर जा गिरती हैं।
(iv) जब कोई गाड़ी प्लेटफॉर्म पर तेजी से आती है, तो वहाँ पर वायु का दाब कम हो जाता हैं, अत: प्लेटफॉर्म पर उपस्थित प्रत्येक वस्तु पर दाबान्तर के कारण गाड़ी की ओर एक धक्का लगता है, जिससे सारा कूड़ा-करकट, पत्ते आदि गाड़ी की ओर तेजी से भागने लगते हैं। अत: गाड़ी आते समय प्लेटफॉर्म पर पटरी से दूर खड़ा होना चाहिए।
(v) यदि भौतिक तुला के एक पलड़े के नीचे तेजी से हवा बहाते हैं, तो पलड़े के नीचे दाब कम हो जाने से पलड़ा नीचे झुक जाता है।
स्टोक्स का नियम Stokes Law: द्रव की श्यानता मापने में स्टोक्स के नियम का उपयोग किया जाता है।
वायुमंडलीय दाब वायुमंडलीय दाब (Atmospheric pressure): पृथ्वी के चारों ओर उपस्थित वायु एवं विभिन्न गैसों को वायुमंडल कहा जाता है। वायुमंडल में उपस्थित वायु हम सभी पर अत्यधिक दाब डालती है, जिसे वायुमंडलीय दाब कहा जाता है। वायुमंडलीय दाब की पहली बार गणना वॉन यूरिक (Von Guericke) ने की थी।
सामान्यतः वायुमंडलीय दाब वायुदाब के मानक वह दाब होता है, जो पारे के 76 सेंटीमीटर वाले एक स्तम्भ
1 सेमी पारा दाब = | 1.33 x 103 पास्कल |
1 पास्कल = | 1 न्यूटन/मी2 |
1 बार = | 105 न्यूटन/मी2 |
1 मिलीबार = | 102 पास्कल |
1 टौर = | 1 मिली पारा दाब |
= 133.8 पास्कल |
(Column) द्वारा 0°C पर 45° के अक्षांश पर समुद्र तल पर लगाया जाता है। यह एक वर्ग सेण्टीमीटर अनुप्रस्थ काट वाले पारे के 76 सेण्टीमीटर लम्बे स्तम्भ के भार के बराबर होता है। वायुमंडलीय दाब 105 न्यूटन/मीटर2 के बराबर होता है। अर्थात् वायुमंडल हम पर हमेशा 16,000 किलोग्राम का दबाव डालता रहता है, लेकिन फिर भी हमें उसका अनुभव नहीं होता। इसका कारण है कि हमारे अन्दर खून एवं अन्य कारक अन्दर से दाब डालते हैं, जो वायुमंडलीय दाब को संतुलित करता है। पृथ्वी की सतह से ऊपर जाने पर वायुमंडलीय दाब घटता है। पृथ्वी के निकट समुद्रतल से प्रति 110 मी० की ऊँचाई चढ़ने पर वायुदाब लगभग 1 सेमी (पारा दाब) कम हो जाता है। इसके दैनिक जीवन में कई उदाहरण देखने को मिलते हैं। जैसे पहाड़ों पर खाना बनाने में कठिनाई होती है, क्योंकि वायुमंडलीय दाब घटने के कारण पानी का क्वथनांक (Boiling point) कम हो जाता है, जिससे गुप्त ऊष्मा का मान कम हो जाता है, फलस्वरूप खाना देर से पकता है। वायुयान में बैठे यात्री के फाउण्टेन पेन से स्याही का रिस जाना, अधिक ऊँचाई पर नाक से खून निकलने लगना आदि घटनाएँ वायुमंडलीय दाब में कमी होने के कारण होती है।
वायुदाबमापी (Barometer): वायुमंडलीय दाब को बैरोमीटर या वायुदाबमापी से मापा जाता है। टॉरीसेली के प्रयोग के आधार पर फोर्टिन ने इस यंत्र को बनाया। इसे फोर्टिन का बैरोमीटर (Fortin’s Barometer) कहते हैं। यह किसी भी समय वायुमंडल के दाब की ठीक-ठीक जानकारी देता है। बैरोमीटर की सहायता से मौसम संबंधी पूर्वानुमान भी लगाया जा सकता है। बैरोमीटर का पाठ्यांक जब एकाएक नीचे गिरता है, तो आंधी आने की संभावना होती है। जब इसका पाठ्यांक धीरे-धीरे नीचे गिरता है, तो वर्षा होने की संभावना होती है, और जब पाठ्यांक धीरे-धीरे ऊपर चढ़ता है, तो दिन साफ रहने की संभावना होती है।
निर्द्रव वायुदाबमापी (Aneroid Barometer): फोर्टिन के पारा दाबमापी की कमियों को दूर करने के लिए इस दाबमापी का निर्माण किया गया । इसमें किसी द्रव का उपयोग नहीं किया जाता है, इसीलिए इसे निद्रव वायुदाबमापी कहते हैं। इस वायुदाबमापी का आकार काफी छोटा होता है। इसका उपयोग कहीं भी किया जा सकता है। इसका उपयोग ऊँचाई मापने में भी किया जाता है। इस सिद्धांत पर बनने वाला ऊँचाई नापने का यंत्र तुंगतामापी (Altimeter) कहलाता है।
मानक वायुमंडलीय दाब (Standard Atmospheric Pressure): पारे के 760 मिलीमीटर अर्थात् 76 सेमी ऊँची नली के दाब को मानक वायुमंडलीय दाब कहते हैं और यह 1 atm के बराबर होता है। 1 atm दाब पास्कल में 101292.8 Pa के बराबर होता है। किसी दिए गए ताप पर यदि पारे का घनत्व अचर हो और g का मान भी अचर हो, तो वायुमंडलीय दाब का मान पारे के स्तर की ऊँचाई के रूप में प्रदर्शित किया जाता है।
यदि बैरोमीटर में पारे के स्थान पर पानी का प्रयोग किया जाए तो पारे की 0.76 मी० की तुलना में पानी का ऊँचाई नली में 10.33 मी० होगी। ऐसा इसीलिए होता है कि बैरोमीटर में द्रव की ऊँचाई, द्रव के घनत्व का सीधा समानुपाती होती है।