प्रकाश Light
वास्तव में प्रकाश एक प्रकार की उर्जा है, जो विद्युत् चुम्बकीय तरंग के रूप में संचरित होती है और जिसका ज्ञान हमें नेत्रों द्वारा प्राप्त होता है। इसका तरंगदैर्ध्य 3900A° से 7800 A° के बीच होता है।
1A°=10-10मीटर
प्रकाश की चाल Speed Of Light- प्रकाश निर्वात में भी गमन करता है, इसकी चाल निर्वात में अन्य माध्यमों की अपेक्षा सबसे अधिक होती है, विभिन्न माध्यमों में प्रकाश की चाल निम्नलिखित है।
माध्यम | प्रकाश की चाल (मी./सेकंड) |
निर्वात | 3.00×108 |
पानी | 2.25×108 |
कांच | 2.00×108 |
रॉक साल्ट | 1.96×108 |
तारपीन का तेल | 2.04×108 |
नाइलॅान | 1.96×108 |
प्रकाश का प्रकीर्णन Scattering Of Light
जब प्रकाश किसी ऐसे माध्यम से गुजरता है, जिसमें धुल तथा अन्य पदार्थों के अत्यंत सूक्षम कण होते हैं, तो इनके द्वारा प्रकाश सभी दिशाओं में (कुछ दिशाओं में कम तथा कुछ में अधिक) प्रसारित हो जाता है। इस घटना को प्रकाश का प्रकीर्णन कहते हैं।
प्रयोगों द्वारा यह ज्ञात हुआ है की बैंगनी रंग के प्रकाश का प्रकीर्णन सबसे अधिक होता है। वर्णक्रम (Spectrum) के बैंगनी से लेकर लाल रंग तक के प्रकाश का प्रकीर्णन, इन रंगों के क्रम से घटता जाता है। इस प्रकार लाल रंग के प्रकाश का प्रकीर्णन सबसे कम होता है।
प्रकाश का परावर्तन Reflection Of Light
किसी एक माध्यम में गमन करते हुए प्रकाश की तरंगे जब किसी चमकदार आपरदर्शी सतह से टकराती हैं, तो निश्चित नियम के अनुसार उसी माध्यम में लौट आती हैं, इसे प्रकाश का प्रकीर्णन कहते हैं।
परावर्तन के नियम
1. आपतन कों और परावर्तन कोण समान होते हैं।
2. आपतित किरण, परावर्तित किरण तथा आपतन बिंदु पर खींची गई अभिलम्ब रेखा तीनों एक ही समतल में रहती हैं।
प्रकाश का अपवर्तन Refraction Of Light
जब प्रकाश की किरणें एक पारदर्शी माध्यम से दुसरे पारदर्शी माध्यम में प्रवेश करती हैं, तो वे इस माध्यम में अपने आपतन बिंदु पर खींचे गए अभिलम्ब की ओर अथवा उससे दूर मुड़ जाती है। इस घटना को प्रकाश का अपवर्तन कहते हैं।
अपवर्तन के नियम
1. किन्हीं दो माध्यमों के लिए आपतन कों की ज्या (sin) और अपवर्तन कोण की ज्या में एक निश्चित अनुपात होता है।
2. आपतित किरण, अपवर्तित किरण और आपतन बिंदु पर खिंची गयी अभिलम्ब रेखा, तीनों एक ही समतल में होते हैं
प्रयोगों द्वारा यह देखा गया है की जब प्रकाश का अपवर्तन विरल माध्यम (Rarer Medium) से सघन माध्यम (Denser Medium) में होता है तब अपवर्तित किरण अभिलम्ब से दूर हट जाती है।
वास्तव में एक माध्यम से दूसरे माध्यम में जाने पर जिस माध्यम में प्रकाश किरण का अभिलम्ब कोण से अधिक होता है, उसे वायरल माध्यम तथा जिस माध्यम से प्रकाश किरण लका अभिलम्ब से कोण कम होता है उसे सघन माध्यम कहते हैं।
पूर्ण आंतरिक परिवर्तन Total Internal Reflection
इसमें सम्पूर्ण प्रकाश सघन माध्यम में ही परावर्तित हो जाता है तथा उसका कोई अंश अपवर्तित नहीं होता है।
पूर्ण परावर्तन के लिए निम्नलिखित दो प्रतिबंधों का होना आवश्यक है-
1. प्रकाश सघन माध्यम से वायरल माध्यम में जाना चाहिए।
2. आपतन कोण का मान क्रांतिक कों से अधिक होना चाहिए।
समतल, अवतल तथा उत्ताल दर्पण Plane, Concave And Convex Mirrors
जिस दर्पण की पहचान करनी होती है, उसके पास किसी वस्तु को लाकर उसे दर्पण के सापेक्ष भिन्न-भिन्न स्थितियों में रखकर उसका प्रतिविम्ब देखते हैं- यदि प्रतिविम्ब सभी स्थितियों सीधा और वस्तु से छोटा बने तो दर्पण उत्तल दर्पण है। यदि प्रतिविम्ब सभी स्थितियों में सीधा और वस्तु के बराबर का बने तो दर्पण समतल दर्पण है और यदि वस्तु का प्रतिविम्ब कभी उल्टा व छोटा, कभी सीधा व बड़ा तथा वस्तु को दर्पण के काफी पास लाने पर सीधा और वस्तु से बड़ा बने तो दर्पण अवतल दर्पण होता है।
अवतल दर्पण (Concave Mirror) के प्रयोग
1. अवतल दर्पण के ध्रुव और फोकस के बीच रखी वस्तु का प्रतिविम्ब वस्तु के सापेक्ष सीधा तथा बड़ा बनता है। अतः अवतल दर्पण का उपयोग दाढ़ी बनाने में किया जाता है।
2. कान नाक व गले के आतंरिक भागों की जाँच करने के लिए डाक्टर अवतल दर्पण का उपयोग करते हैं।
3. अवतल दर्पण का उपयोग परावर्तक (Reflector) के रूप में भी किया जाता है।
4. अवतल दर्पण का उपयोग परावर्तक दूरदर्शी (Reflecting Telescope) में किया जाता है।
उत्तल दर्पण (Convex Mirror) के प्रयोग
1. उत्तल दर्पण से काफी बड़ी क्षेत्र की वस्तुओं का प्रतिविम्ब एक छोटे क्षेत्र में बनता जाता है, इसलिए उत्तल दर्पण का दृष्टि क्षेत्र (Field Of view) विस्तृत होता है। अतः मोटर व दुसरे वहां चालक के बगल में इसे लगा देते हैं, जिससे पीछे के काफी क्षेत्र की वस्तुओं का स्पष्ट और सीधा प्रतिविम्ब चालकों को दिखाई पड़ता है।
2. सड़क पर लगे हुए लैम्पों में परावर्तकों (Reflectors) के रूप में उत्तल दर्पण प्रयुक्त किये जाते हैं। इससे लैम्प का प्रकाश काफी बड़े क्षेत्र में फ़ैल जाता है।
विद्युत् चुम्बकीय स्पेक्ट्रम Electromagnetic Spectrum
सूर्य के प्रकाश में स्पेक्ट्रम में लाल रंग से लेकर बैंगनी रंग तक दिखाई पड़ते हैं। इस स्पेक्ट्रम को दृश्य स्पेक्ट्रम (Visible Spectrum) कहते हैं। दृश्य स्पेक्ट्रम के लाल रंग में सबसे लम्बी तरंगदैर्ध्य (Wave Length) मान लगभग 7.8×10-7मीटर और बैंगनी रंग में सबसे छोटी तरंग दैर्ध्य का मान लगभग 4.0×10-7मीटर होता है। वैज्ञानिकों ने पता लगाया की सूर्य के प्रक्ष्स का स्पेक्ट्रम केवल लाल रंग से लेकर बनिग्नी रंग तक ही सीमित नहीं है, बल्कि लाल रंग से ऊपर तथा बैंगनी रंग से नीचे भी काफी विस्तार से फैला हुआ है। स्पेक्ट्रम के इन भागों का आँख की रेटिना पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता है, अतः इन्हें अदृश्य स्पेक्ट्रम कहते (Invisible Spectrum) हैं| लाल रंग के ऊपर बड़ी तरंग्धैर्ध्य वाले भाग को अवरक्त स्पेक्ट्रम (Infra-red Spectrum) तथा बैंगनी रंग से नीचे छोटी तरंगदैर्ध्य वाले भाग को पराबैंगनी स्पेक्ट्रम (Ultra Violet Spectram) कहते हैं। सभी विकिरण (दृश्य स्पेक्ट्रम सहित) विद्युत चुम्बकीय तरंगें हैं।